जयपुर. प्रदेश में ऐसे कितने परिवार हैं जो किसी सदस्य के गुम होने के चलते अवसाद भरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं. लाख कोशिशों के बावजूद लापता व्यक्ति का कुछ पता नहीं चलता. राजस्थान से हर साल बड़ी संख्या में लोग गायब होते हैं और पुलिस भी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर महज खानापूर्ति कर लेती है. कई परिवार तो ऐसे हैं जो किसी के लापता होने पर गुमशुदगी की रिपोर्ट तक पुलिस थानों में दर्ज नहीं कराते और अपने स्तर पर उसकी असफल तलाश करते है. वहीं, कुछ मामलों में पुलिस के ढीले रेवैय के चलते लापता व्यक्ति परिवार से नहीं मिल पाते. राजस्थान में वर्ष 2020 में जनवरी माह से लेकर नवंबर माह की 12 तारीख तक कुल 6783 लोग लापता हुए हैं. जिनमें 80 फीसदी महिलाएं एवं बालिकाएं शामिल हैं.
मानव तस्करी गिरोह का हाथ...
एडिशनल डीसीपी सुनीता मीणा ने बताया कि राजस्थान के प्रत्येक जिले में महिलाओं के लिए पुलिस में एक स्पेशल विंग का गठन किया गया है और महिलाओं से संबंधित हर तरह के प्रकरणों पर पुलिस द्वारा ध्यान भी दिया जा रहा है. प्रदेश में विशेषकर बालिकाओं व महिलाओं के गुमशुदा होने के पीछे पुलिस मानव तस्करी एक बड़ा कारण है. ऐसे अनेक प्रकरण सामने आए हैं, जिसमें बच्चों को बहला-फुसलाकर और महिलाओं का अपहरण कर उन्हें दूसरे राज्य में ले जाकर बेच दिया गया है. मानव तस्कर गिरोह द्वारा राजस्थान के आदिवासी इलाकों से बड़ी तादाद में बालिकाओं एवं महिलाओं की तस्करी की जाती है और फिर उन्हें दूसरे राज्यों में ले जाकर बेच दिया जाता है.
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तुरंत करें पुलिस में शिकायत...
एडिशनल डीसीपी सुनीता मीणा का कहना है कि गुमशुदगी के प्रकरण में देखा गया है कि किसी के गुम होने पर परिवार एक-दो दिन अपने स्तर पर ही व्यक्ति की तलाश करते हैं. ऐसे में पुलिस को देरी से जानकारी मिलती है, जिसके चलते गुम हुए व्यक्ति को ढूंढ पाना या उसे ट्रेस करना पुलिस के लिए भी काफी कठिन हो जाता है. उन्होंने कहा कि परिवार के किसी भी सदस्य के गुम होने पर उसकी सूचना तुरंत 100 नंबर या 1090 पर फोन कर पुलिस को दें, ताकि पुलिस भी तत्परता से व्यक्ति की तलाश करना शुरू कर दें.