जयपुर. राजधानी में हाल ही में घटित हुई लूट और डकैती की वारदात के अलावा भी कई ऐसे मामले सामने आते हैं जहां घर के नौकर ही वारदात को अंजाम देते हैं. ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि बड़े से बड़े व्यापारी या अन्य प्रतिष्ठित लोग भी अपने घरों पर काम करने वाले नौकर के बारे में जानकारी नहीं लेते हैं, न ही उनका पुलिस वेरिफिकेशन करवाते हैं. ऐसे में वारदात को अंजाम देने के बाद फरार हुए नौकरों को तलाश करना पुलिस के लिए भी बड़ा सिरदर्द बन जाता है.
जिसे देखते हुए अब जयपुर पुलिस ने ऐसे मकान (Case of Servants looting owner House in Jaipur) मालिकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का (Jaipur Police to take action against owners not verifying servants) फैसला किया है, जो अपने घर, दुकान या अन्य प्रतिष्ठानों पर स्थाई या अस्थाई तौर पर नौकरों को काम के लिए रखते हैं लेकिन उनका पुलिस वेरिफिकेशन नहीं कराते हैं.
नौकरों का पुलिस वेरिफिकेशन नहीं कराना पड़ रहा महंगा आदेश का नहीं हो रहा पालन:एडिशनल पुलिस कमिश्नर क्राइम अजय पाल लांबा ने बताया कि घर, दुकान या अन्य प्रतिष्ठानों पर रखे जाने वाले नौकरों के पुलिस वेरिफिकेशन को लेकर जयपुर पुलिस ने धारा 144 के तहत पहले ही आदेश जारी कर रखे हैं. लेकिन मकान मालिक उन आदेशों का पालन नहीं कर रहे. ऐसे में अब तमाम थाना अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि बिना पुलिस वेरिफिकेशन के नौकर रखने वाले लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही आमजन से लगातार अपील की जा रही है कि वो नौकर रखने से पहले पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य रूप से करवाएं.
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मालिक हो रहे बड़े वारदातों का शिकार:राजधानी जयपुर में हाल ही में दो ऐसी बड़ी घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें पहला मामला नेपाली नौकरों का है. वारदात वैशाली नगर थाना इलाके में 26 मार्च को एक चिकित्सक के साथ घटित हुई. जहां एक महीने पहले बिना पुलिस वेरिफिकेशन के रखे नेपाली नौकर किशन ने डिनर में नशीला पदार्थ खिलाया और लाखों रुपए की नकदी और जेवरात लूट कर फरार हो गए. इसी प्रकार से करणी विहार थाना इलाके में 2 मई को एग्रीकल्चर व्यापारी मैथिलीशरण शर्मा के पूरे परिवार को बंधक बनाकर 5 नेपाली नौकरों ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर डकैती की एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया.
इसके अलावा भी ऐसी अनेकों घटनाएं हैं, जिन्हें घरेलू नौकरों ने अंजाम दिया है. इन सभी मामलों में मकान मालिक के पास से नौकरों के बारे में किसी तरह की जानकारी नहीं मिली और न ही किसी भी नौकर का पुलिस वेरिफिकेशन करवाया गया था. ऐसे में वारदात को अंजाम देने के बाद फरार हुए नौकरों की तलाश करना पुलिस के लिए एक बेहद जटिल काम हो जाता है. वैशाली नगर और करणी विहार थाना इलाके में हुई घटना का पुलिस अभी तक खुलासा नहीं कर सकी है. न ही आरोपियों का कोई सुराग मिल सका है.
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जब भी हो जाती वारदात तो पुलिस याद दिला देती आदेश:जब भी नौकर किसी आपराधिक वारदात को अंजाम देते हैं, तो पुलिस धारा 144 के तहत नौकरों के पुलिस वेरिफिकेशन को लेकर जारी किए गए आदेश का हवाला देकर अपना पलड़ा झाड़ लेती है. लेकिन पुलिस उन मालिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं करती है. जिसके चलते मकान मालिक भी नौकरों के पुलिस वेरिफिकेशन में दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं. न ही इस प्रक्रिया को गंभीर रूप से लेते हैं. वहीं ज्यादातर व्यक्ति पुलिस थाने में जाकर नौकरों के पुलिस वेरिफिकेशन के दौरान पुलिस के पूछे जाने वाले सवालों से बचना चाहता है.
आदेश की पालना करवाना और पालन करना, दोनों आवश्यक:जब तक समाज में लोग नौकरों के पुलिस वेरिफिकेशन को लेकर गंभीर नहीं होंगे, तब तक इन वारदातों पर अंकुश लगाना आसान नहीं होगा. पुलिस केवल आदेश निकालती है लेकिन उस आदेश की पालन नहीं करवाती है. जिसके चलते लोग भी इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं, और अपना ही नुकसान करा बैठते हैं. वहीं लोगों को भी ये समझना होगा कि नौकरों का पुलिस वेरिफिकेशन करवाना आवश्यक है. पुलिस वेरीफिकेशन के बाद नौकर किसी भी आपराधिक वारदात को अंजाम देने से पहले कई बार सोचेगा. यदि वारदात को अंजाम देता भी है तो उसकी तमाम जानकारी पुलिस के पास होगी जिसके चलते पुलिस उस तक आसानी से पहुंच सकेगी.