राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

26/11 के शहीदों को जयपुर पुलिस इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार ने कविता पढ़कर दी श्रद्धांजलि

26/11 की 11वीं बरसी पर जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में कार्यरत सीआई प्रवीण कुमार ने वीर रस की कविता के जरिए शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. साथ ही कविता के ही जरिए अपने साथी पुलिस कर्मियों को ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा के साथ ड्यूटी करने का संदेश दिया.

By

Published : Nov 26, 2019, 8:05 PM IST

26/11 attack, शहीदों को श्रद्धांजलि
26/11 के शहीदों को पुलिस इंस्पेक्टर ने कविता पढ़कर दी श्रद्धांजलि

जयपुर.26/11 की 11वीं बरसी पर जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में कार्यरत सीआई प्रवीण कुमार ने वीर रस की कविता के माध्यम से शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. इसके साथ ही कविता के माध्यम से अपने अन्य साथी पुलिसकर्मियों को इमानदारी व कर्तव्य निष्ठा के साथ अपनी ड्यूटी का निर्वाह करने का संदेश भी दिया.

26/11 के शहीदों को पुलिस इंस्पेक्टर ने कविता पढ़कर दी श्रद्धांजलि

सीआई प्रवीण कुमार हास्य कवि के रूप में भी जाने जाते हैं जो कि पीके मस्त के नाम से विख्यात हैं. मुंबई में 26 नवंबर 2011 को हुए आतंकवादी हमले में शहीद हुए पुलिस के आला अधिकारियों व जवानों को सीआई प्रवीण कुमार ने अपने अंदाज में श्रद्धांजलि अर्पित की.

पढ़ें- जयपुर: CRPF की रैपिड एक्शन फोर्स ने मनाया संविधान दिवस

सीआई प्रवीण कुमार ने वीर रस की इस कविता के माध्यम से 26/11 हमले में शहीद हुए आला अधिकारियों व जवानों को श्रद्धांजलि दी -

सारी परिस्थितियों को जो पल में भांपते हैं
अपराधी जिनके नाम से ही कांपते हैं
ऐसे सीनियर सब हमारे अशोक काम्टे हैं.

सर पर कफ़न बांधे हम भी सिरफिरे हैं
मौका मिला तो दिखा देंगे कि हम भी हेमंत सर जैसे करकरे हैं.

ना मौत का डर ना जीने की सोची है
कभी ओंबले बन कसाब की गर्दन दबोची है.

जब भी चली गोली सीने पर खाई है
देखी ना हमने की अपनी पराई है
सब जानते हैं देश की अस्मिता किसने बचाई है.

देश सेवा में न्योछावर जिनका तन और मन और धन है
वही बन गए शहीद संदीप उन्नीकृष्णन है.

इसके साथ ही सीआई प्रवीण कुमार ने कहा कि पुलिसकर्मियों की जिंदगी में अनेक तरह के तनाव होते हैं और ड्यूटी ऑवर भी ज्यादा होते हैं. जिसे पॉजिटिव लेते हुए सीआई प्रवीण कुमार ने पुलिस के अन्य साथियों को भी कविता के माध्यम से एक संदेश दिया -

बंजर है जीवन, उगानी है फसलें
सेवा की दुनिया में थोड़ा सा धंस लें
कुछ तो निभाएं कर्तव्य अपना
ताकि, आने वाली नस्लें थोड़ा सा हंस लें, थोड़ा सा हंस ले.

ABOUT THE AUTHOR

...view details