जयपुर. प्रदेश में मेट्रो करीब 25 करोड़ के घाटे में चल रही है. जिसे लेकर अक्सर कई सवाल खड़े होते रहते हैं. गौरतलब है कि प्रदेशवासियों के लिए सस्ता, सुरक्षित और आरामदायक ट्रांसपोर्ट सेवा जयपुर मेट्रो का काम 2011 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने शुरू कराया था. इसके बाद 2015 में पैसेंजर सर्विसेज भी शुरू की गई. लेकिन तब से लेकर आज तक जयपुर मेट्रो घाटे में ही चल रही है.
जयपुर मेट्रो का इस साल पूरा होगा भूमिगत मेट्रो फेज-1 B पार्ट का काम दरअसल, जयपुर मेट्रो के लिए दिल्ली मेट्रो ने डीपीआर बनाई थी, जिसमें दो कॉरिडोर शामिल थे. एक सीतापुरा से अंबाबाड़ी और दूसरा मानसरोवर से बड़ी चौपड़. उस समय राज्य सरकार ने निर्णय लिया कि दोनों कॉरिडोर एक साथ बनाने के बजाय पहले मानसरोवर से बड़ी चौपड़ वाला कॉरिडोर किया जाए. उसमें भी चांदपोल से बड़ी चौपड़ अंडर ग्राउंड पोर्शन था, इसलिए जयपुर की जनता को शीघ्र मेट्रो का लाभ देने के लिए मानसरोवर से चांदपोल तक का कॉरिडोर चुना गया.
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जयपुर मेट्रो एमडी मुकेश सिंघल ने बताया कि मेट्रो कम किराए में सुरक्षित और आरामदायक ट्रांसपोर्ट विकल्प के तौर पर राजस्थान के लिए नया साधन था. यह टायर टू सिटीज में भी पहला था. जहां तक रूट चॉइस की बात है तो वो ट्रैफिक सर्वे पर निर्भर होता है. जिसके तहत पूरे शहर का प्लान तैयार किया जाता है. हालांकि एमडी मुकेश सिंघल ने उम्मीद जताई कि जब मानसरोवर से बड़ी चौपड़ तक मेट्रों ट्रेन चलेगी, तब यात्रियों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिलेगा. साथ ही मेट्रो की स्थिति भी सुधरेगी.
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बहरहाल, सरकार और मेट्रो प्रशासन का दावा है कि इसी वित्तीय साल में भूमिगत मेट्रो यानी मेट्रो फेज 1B पार्ट का काम पूरा हो जाएगा. यहां पैसेंजर सुविधा भी शुरू हो जाएगी. जिसका फायदा जयपुर वासियों के साथ-साथ घाटे में चल रहे जयपुर मेट्रो कॉरपोरेशन को भी मिलेगा.