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Jaipur Literature Festival: पांच राज्यों के चुनाव के बाद G-23 फिर सक्रिय...CWC की मीटिंग में हो सकते हैं महत्वपूर्ण निर्णय- शशि थरूर - Discussion on Farmers in Jaipur Literature Festiva

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (Jaipur Literature Festival) में पहुंचे G-23 के सदस्य और कांग्रेस नेता शशि थरूर (Shashi Tharur in Jlf) ने विभिन्न मुद्दों पर विचार रखे. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस की होने वाली सीडब्ल्यूसी बैठक में बड़े फैसले की उम्मीद Shashi Tharur has hope with CWC meeting जताई है.

Shashi Tharur in Jlf
जेएलएफ में बोलते शशि थरूर

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Published : Mar 13, 2022, 6:34 PM IST

Updated : Mar 13, 2022, 10:46 PM IST

जयपुर.पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद जी 23 एक बार फिर सक्रिय हो गया है. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (Jaipur Literature Festival) में पहुंचे जी 23 के सदस्य और कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि 2 साल पहले कुछ साथी पार्टी को एक्टिव करने के लिए आगे आए थे, लेकिन कोई खास बदलाव नहीं कर सके. हालांकि उन्होंने सीडब्ल्यूसी की बैठक से पहले इशारा किया है कि आज कांग्रेस की ओर से कोई बड़ा फैसला आ सकता है.

हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद लगातार कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं. रविवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से पहले जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पहुंचे कांग्रेस नेता शशि थरूर (Shashi Tharur in Jlf) ने आज कोई बड़ा फैसला होने की उम्मीद जताई है. उन्होंने आश्चर्य जताते हुए कहा कि उत्तराखंड और गोवा में जीत हो सकती थी, लेकिन क्यों नतीजे उल्टे हुए इस पर मंथन किया जा रहा है.

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उन्होंने जी 23 को लेकर कहा कि 2 साल पहले कोविड-19 के लॉकडाउन के बावजूद दिल्ली आ सके ऐसे साथियों ने एक चिट्ठी लिखी. इसमें कांग्रेस के ये नेता चाहते थे कि पार्टी अच्छी और फिर से मजबूत हो जाए, ज्यादा एक्टिव हो जाए. रिवाइज करने का कोई उपाय निकाला जाए लेकिन इस बात को 2 साल हो चुके हैं और अब तक कोई ज्यादा बदलाव हो नहीं पाए हैं. इसलिए कह रहे हैं कि कुछ प्रोग्रेस होनी चाहिए, कुछ बदलाव होने चाहिए. संभव है आज वर्किंग कमिटी की मीटिंग में इन सभी विषयों पर चर्चा होगी ताकि कोई निष्कर्ष निकले.

जेएलएफ में बोलते शशि थरूर

यूपी चुनाव पर ये कहा...
उन्होंने यूपी के रिजल्ट को लेकर कहा कि बहुत से लोगों ने सोचा नहीं होगा कि भाजपा बहुमत के साथ सरकार बनाएगी. कैसे बनी इस पर मंथन किया जा रहा है, लेकिन ये भी मानना चाहिए कि समाजवादी पार्टी का वोट बहुत बढ़ गया. इससे विधानसभा में एक मजबूत विपक्ष भी रहेगा. उन्होंने मोटिवेशनल स्पीकर के तौर पर पार्टी को मोटिवेट करने के सवाल पर कहा कि वह एक देश प्रेमी हैं और भारत को अच्छे नजरिए से महान देखना चाहते हैं. बड़ी छाती या मसल्स के नजरिए से नहीं. एजुकेशन और बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए अभी भी संघर्ष करने के लिए तैयार हैं.

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प्नधामंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर थरूर ने कहा कि वह जबरदस्त और डायनमिक व्यक्ति हैं. उन्होंने बहुत कुछ ऐसा किया है जो राजनीतिक नजरिए से काफी इंप्रेसिव है, लेकिन उनका एक नकारात्मक पहलू ये है कि उनकी कार्यशैली अपने देश को जाति, धर्म, संप्रदाय के नाम पर बांटने का काम करती है. ये समाज के लिए विष है. ये उनके अकेले का नहीं बल्कि उनके पार्टी और परिवार का काम है. उनके नजरिए में सिर्फ जय श्री राम बोलने वाला ही हिंदू. जब किसी के विश्वास को लेकर सवाल उठाए जाते हैं, तो वह गलत है. यही देश में चिंता का विषय भी है.

वहीं पांच राज्यों के चुनावी परिणाम को लेकर उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में ज्यादातर लोग मान रहे थे कि नजदीकी मुकाबला होगा. हालांकि ऐसा देखने को नहीं मिला. आखिर में उन्होंने कहा कि देश की जनता हमेशा से अचंभित करने का माद्दा रखती आई है, एक दिन बीजेपी को भी करेगी. फिलहाल उन्होंने बीजेपी को वो दिया है जो वो चाहती थी. वो ये नहीं कह सकते कि किसी भी साथी के राजनीतिक दल छोड़ने से इसकी भरपाई हो सकती है.

साहित्य के मेले में भी हुई कृषि और किसानों की बात, कोरोना काल में गलत सूचना प्रसारित किए जाने पर उठाए गए सवाल...
देश के हजारों किसानों के एक साल के लंबे विरोध के बाद कृषि कानूनों को निरस्त करने से राजनीतिक ध्यान फिर से सबसे बड़े आर्थिक क्षेत्र कृषि पर केंद्रित हो गया है. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में इसकी झलक (Farmers Issue Raised in JLF) देखने को मिली. लेखिका मुकुलिका बनर्जी, पत्रकार नमिता वाइकर, लेखक बद्री नारायण ने जेएलएफ के लाइव सेशन में कैसे ग्रामीण भारत की उपेक्षा और लोकतंत्र में बदलाव को लेकर चर्चा की.

चर्चा में लेखिका मुकुलिका ने कहा कि किसान जिस तरह से बिना रुके दिन-रात जमीन पर काम करता है, उसी तरह देश के लोकतंत्र के लिए काम करने की जरूरत है. वहीं, चर्चा को आगे बढ़ाते हुए बद्री ने दोनों वक्ताओं से पूछा कि बढ़ते शहरीकरण के साथ किसान आंदोलन हाशिए पर चला गया है. जिस पर नमिता ने जवाब दिया कि हाल के कृषि कानून जो अब निरस्त हो गए हैं, इसका एक बड़ा उदाहरण है. देश में बड़े कॉरपोरेट या राजनेता नीतियां बना रहे हैं, लेकिन जो किसान अपने खेतों में चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं और वे ऐसे लोग हैं जो किसी भी नीतिगत फैसले से प्रभावित होंगे.

जिस तरह से संसद में सिर्फ एक घंटे में कृषि कानून पारित किए गए, उससे पता चलता है कि किसानों का कैसे ध्यान रखा जा रहा है. नमिता ने आगे कहा कि गौहत्या पर प्रतिबंध जैसे अन्य कानूनों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आवारा पशुओं की बढ़ती संख्या के उन्हें प्रभावित किया है. वहीं, एक अन्य सत्र में संदीप जोहर, चंद्रकांत लहरिया, पत्रकार बरखा दत्त और अमरीश सात्विक ने महामारी के दौरान गलत सूचना से निपटने के तरीके के बारे में बातचीत की.

चर्चा में ये स्पष्ट कहा गया कि गलत सूचना का मुकाबला करने का सबसे अच्छा तरीका सही सूचना प्रकाशित करना है. कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान गलत सूचना से निपटना सरकार के लिए कठिन परिस्थिति थी. आज भी अमेरिका जैसे देश में छह में से एक व्यक्ति को वैक्सीन के प्रति पूर्वाग्रह है. यही वजह है कि वहां टीका लगने का प्रतिशत कम है. इस दौरान मॉडरेटर रही पत्रकार बरखा ने सोशल मीडिया के युग में ऑनलाइन गलत सूचना दिए जाने पर सवाल खड़े करते हुए. आधिकारिक चैनलों के माध्यम से सही सूचनाओं को प्रसारित करने की बात कही.

वहीं, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी लिटरेचर फेस्टिवल के चौथे दिन अपने शब्दों का जादू बिखेरा. थरूर ने किताबें पढ़ने के अपने प्रेम को साझा किया. साथ ही भारत की विविधता पर बात की. चर्चा में स्टेट सर्विलेंस पर प्रकाश डालते हुए स्टेट सर्विलेंस को फासीवादी निगरानी बताया. एक अन्य सत्र, 'एन्शिएंट इंडिया: कल्चर ऑफ़ कोंट्राडिक्शन' में जाने माने प्रोफेसर उपिन्दर सिंह से प्राचीन भारत, राजनीतिक हिंसा पर चर्चा की.

उधर, साहित्य के महाकुंभ में राजस्थान टूरिज्म के साथ मिलकर आमेर फोर्ट में कला और संस्कृति का अनूठा उदाहरण पेश किया गया. हेरिटेज इवनिंग में शामिल हुए लोक कलाकारों और संगीत क्षेत्र की मशहूर हस्तियों ने श्रोताओं का मन मोह लिया.

Last Updated : Mar 13, 2022, 10:46 PM IST

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