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आखरी बार महारानी गायत्री देवी ने किया था बाघ का शिकार...अब बघेरों की दहाड़ गुंजती है झालाना लेपर्ड रिजर्व...एक दशक में बनाई खास पहचान

आज वर्ल्ड एनिमल डे (World Animal Day 2021) है. इस मौके पर जीव-जंतुओं के संरक्षण को लेकर कहीं वादे हो रहे हैं तो कहीं संरक्षण ना हो पाने का लोगों में मलाल है. लेकिन इन सबसे हटकर झालाना रिजर्व पार्क (Jaipur Jhalana Reserve Park) वन्य जीव संरक्षण के लिहाज से देशभर में किसी मिसाल से कम नहीं है.

Jaipur Jhalana Reserve, World Animal Day 2021
झालाना रिजर्व पार्क वन्य जीव संरक्षण के लिए मिसाल

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Published : Oct 4, 2021, 8:40 PM IST

Updated : Oct 4, 2021, 9:31 PM IST

जयपुर.दुनिया वर्ल्ड एनिमल डे मना रही है. आज के दिन हर कहीं जीव-जंतुओं के संरक्षण को लेकर लोग संकल्प ले रहे हैं तो कहीं चिंता जता रहे हैं. इस बीच जयपुर का झालाना रिजर्व पार्क एक मिसाल बनकर उभरा है. इस क्षेत्र में एक दशक पहले ना केवल जीवों का जीवन खतरे में पड़ गया था बल्कि वन्य संपदा विलुप्त होने की कगार पर थी. लेकिन बीते एक दशक में इस क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव आया है. जीव-जंतुओं के संरक्षण और विकास को लेकर काफी काम हुआ है.

जयपुर का झालाना वन क्षेत्र ने राजस्थान ही नहीं बल्कि देशभर के वन्यजीव प्रेमियों की नजर में एक उदाहरण के रूप में जगह बनाई है. आजादी से पहले पूर्व महारानी स्वर्गीय गायत्री देवी (Queen Gaytri Devi) ने इस इलाके में मौजूद आखिरी बाघ का शिकार किया था. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वन्यजीवों के लिहाज से यह क्षेत्र किसी दौर में कितना समृद्ध रहा होगा. वर्तमान में झालाना जंगल के एक तरफ मालवीय नगर औद्योगिक क्षेत्र है.

झालाना रिजर्व पार्क वन्य जीव संरक्षण के लिए मिसाल

दूसरी तरफ जगतपुरा जैसी आबादी वाला इलाका है. इस लिहाज से देखा जाए तो चुनौतीपूर्ण हालात में इस जंगल में ऐतिहासिक स्तर पर काम हुए हैं. यहां पर जंगली जीवों में सबसे ज्यादा बघेरे यानी कि लेपर्ड को संरक्षित किया गया है. साथ ही अब यहां पर प्रवासी पक्षियों, सरीसृप जीवों और अन्य जीव-जंतुओं ने फिर से आवास बनाकर क्षेत्र को आबाद करने का काम शुरू किया है. झालाना जंगल में लेपर्ड्स के साथ ही कई शाकाहारी जीव भी मौजूद हैं.

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देश का पहला लेपर्ड सफारी झालाना लेपर्ड रिजर्व पर्यटकों के लिए खासा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. जयपुर का झालाना लेपर्ड रिजर्व देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुका है. यहां पर आम पर्यटकों के अलावा बड़ी सेलिब्रिटी और वाइल्ड लाइफ भी पहुंचते हैं. झालाना लेपर्ड रिजर्व वन्यजीवों से गुलजार हो रहा है. झालाना जंगल में बघेरों का कुनबा बढ़ रहा है.

झालाना में लेपर्ड

तीन साल पहले शुरू हुआ काम

झालाना के क्षेत्रीय वन अधिकारी जनेश्वर चौधरी ने बताया कि 3 साल पहले झालाना लेपर्ड रिजर्व को बघेरों के आवास के रूप में विकसित करने और आदर्श पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का काम शुरू किया गया था. झालाना के चारों तरफ 6 फीट ऊंची दीवार बनाई गई और वन्यजीवों के लिए पानी की व्यवस्था की गई. इसके साथ ही हेबिटाट इंप्रूवमेंट किया गया. झालाना जनरल से जूली फ्लोरा को हटाकर फलों के पौधे लगाए गए. झालाना में करीब 70 हेक्टेयर एरिया में ग्रास लैंड विकसित की गई. झालाना लेपर्ड के लिए उपयुक्त जंगल बन गया है. वर्ष 2018 में 20 लेपर्ड थे, लेकिन अब 43 लेपर्ड्स हो चुके हैं. झालाना के लेपर्ड दूसरे जंगलों में भी चले गए हैं.

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उन्होंने बताया कि वन्यजीव सप्ताह चल रहा है. वन्य जीव सप्ताह और वर्ल्ड एनिमल डे के अवसर पर कई कार्यक्रम भी आयोजित किए गए हैं. बच्चों का प्रश्नोत्तरी प्रोग्राम और वन्यजीवों के प्रति जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए गए. जनेश्वर चौधरी ने बताया कि आजादी से पहले कानून व्यवस्था, जंगल और जंगली जीवों की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज परिवारों के पास होती थी. राजाओं ने अपने जंगलों को रिजर्व घोषित किया हुआ था. उस जमाने में लोग राजपरिवार से परमिशन लेकर ही जंगल में शिकार करते थे.

झालाना में 1943 में आखिरी बार हुआ था टाइगर का शिकार

रेंजर जनेश्वर चौधरी ने बताया कि झालाना लेपर्ड रिजर्व में 1943 में आखिरी टाइगर का शिकार हुआ था. जयपुर की पूर्व महारानी गायत्री देवी ने आखरी टाइगर का शिकार झालाना में किया था. जिस टाइग्रेस का शिकार किया गया था, उसके 5 शावक थे, 5 में से दो शावक जीवित बचे थे. उनको जयपुर चिड़ियाघर के सुपुर्द कर दिया गया था. आजादी के बाद 1953 में फॉरेस्ट एक्ट बन गया था. 1972 में वाइल्ड लाइफ एक्ट बना. वन्यजीवों की सुरक्षा वन्यजीव अधिनियम 1972 बनने के बाद ही सुनिश्चित हो सकी. इसके बाद वन्यजीव का शिकार करना, वन्यजीवों के अंग रखना और बंदी बनाना प्रतिबंधित हो गया था.

हिरण

साल 2021 में करीब 10 नए शावकों का हुआ जन्म

साल 2021 में करीब 10 नए शावकों का जन्म हुआ है. झालाना लेपर्ड रिजर्व की शुरुआत के समय यहां करीब 20 लेपर्ड थे, जिनकी संख्या बढ़कर आज 43 हो गई है. नए शावकों की अठखेलियां पर्यटकों को रोमांचित कर रही है. झालाना जंगल में बघेरा यानी लेपर्ड्स का कुनबा बढ़ाने के लिए वन विभाग की तरफ से भी विशेष इंतजाम किए गए हैं.

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यहां पर वन्यजीव के भोजन के लिए प्रेबेस बढ़ाने का भी लगातार प्रयास किया जा रहा है. इसके साथ ही पानी के लिए जगह जगह पर वाटर पॉइंट बनाए गए हैं. झालाना प्रबंधन ने जयपुर और आसपास के क्षेत्र में दखल दे रहे लेपर्डस को फिर से वनो तक सीमित करके उनके कुनबे में इजाफा करने में सफलता हासिल की है.

झालाना में मोर

इन लेपर्ड्स के जन्मे शावक

क्षेत्रीय वन अधिकारी जनेश्वर चौधरी ने बताया कि वन्यजीव प्रेमियों ने सभी लेपर्ड्स के नाम रखे हुए हैं. साल 2021 में सबसे पहले फीमेल लेपर्ड एलके ने तीन शावकों को जन्म दिया. इसके बाद मिसेज खान के तीन शावक, बसंती के एक शावक, गजल के दो शावक और फीमेल लेपर्ड जलेबी के एक शावक जन्मा है. वाइल्ड लाइफर्स को जंगल में काफी रुचि रहती है, जब भी कोई नया शावक आता है तो उसकी फोटोग्राफ्स भी क्लिक करते हैं.

वन्यजीवों के लिए वाटर पॉइंट्स का निर्माण

जंगल में जिन जगहों पर वन्यजीवों का ज्यादा मूवमेंट रहता है, वहां पर वाटर पॉइंट बनाए गए हैं. पिछले साल भी 6 नए वाटर पॉइंट बनाए गए थे. वर्ष 2019 में भी 6 वाटर पॉइंट बनाए गए थे. जंगल में जगह-जगह कैमरा लगाया गए हैं जिस जगह वन्यजीव का ज्यादा आना जाना होता है, उस जगह पर वाटर पार्क बनाया जाता है. जंगल में बाउंड्री वॉल करवाने के बाद वन्यजीवों के आबादी क्षेत्र में जाने की घटनाएं भी कम हुई है.

हरियाणी से भरपूर है रिजर्व

इन लेपर्ड्स की ज्यादा होती है साइटिंग

सबसे ज्यादा एडल्ट लेपर्ड्स की फाइटिंग होती है. एडल्ट लेपर्ड्स में वाइल्ड का व्यवहार डवलप हो जाता है. समय-समय पर लेपर्ड्स की साइटिंग भी बदलती रहती है. इन दिनों मेल लेपर्ड राणा ज्यादा नजर आ रहा है. राणा से पहले कजोड़ काफी दिखता था. कजोड़ से पहले लेपर्ड जूलिएट ज्यादा नजर आती थी. इसके साथ ही इन दिनों लेपर्ड बहादुर ज्यादा नजर आता है. फीमेल लेपर्ड में फ्लोरा सबसे ज्यादा दिखती है.

झालाना को जोड़ते हुए जंगल

झालाना से सरिस्का तक जंगल एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. झालाना से गलता वन क्षेत्र लगता हुआ है. गलता से आमेर फॉरेस्ट, आमेर से नाहरगढ़ सेंचुरी, नाहरगढ़ सेंचुरी से अचरोल, अचरोल से जमवारामगढ़ सेंचुरी और जमवारामगढ़ सेंचुरी से सरिस्का टाइगर रिजर्व जुड़ा हुआ है.

पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना झालाना जंगल

झालाना जंगल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. विशेष तौर पर नए शावक पर्यटकों के लिए खासा आकर्षण का केंद्र रहते हैं. जब किसी टूरिस्ट को शावक की साइटिंग होती है तो वह काफी रोमांचित हो जाता है. लेपर्ड्स के बच्चों को देखकर पर्यटक काफी उत्साहित होते हैं.

Last Updated : Oct 4, 2021, 9:31 PM IST

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