जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने आर्म्स एक्ट के आरोपी के समय पूर्व रिहाई से जुड़े मामले में गृह सचिव, आईजी जेल और जयपुर केंद्रीय कारागार के अधीक्षक को 25 मई को पेश होने के आदेश दिए हैं. अदालत ने जेल आईजी विक्रम सिंह से याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन को लेकर 7 दिसंबर 2021 को किए गए आदेश पारित को लेकर सवाल किया है. वहीं अदालत ने गृह सचिव से मामले में अदालत की ओर से गत 25 नवंबर को दिए आदेश का पालन नहीं किए जाने को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है.
मनीष दीक्षित की आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस प्रकाश भंडारी और जस्टिस (Jaipur High Court summons home secretary) अनूप ढंड की खंडपीठ ने ये आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान गृह सचिव और जेल अधीक्षक अदालत में पेश हुए. वहीं अतिरिक्त महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि 25 नवंबर 2021 के आदेश के पालन को लेकर स्पष्टीकरण पेश कर दिया गया है. इस पर याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि अदालत ने 25 नवंबर को राज्य सरकार को आदेश देकर याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन को तीन सप्ताह में तय करने को कहा था, लेकिन सक्षम अधिकारी के बजाए आईजी जेल ने अपने स्तर पर अभ्यावेदन तय किया और याचिकाकर्ता को इसकी जानकारी भी नहीं दी गई. अदालत ने आईजी और गृह सचिव से स्पष्टीकरण मांगते हुए जेल अधीक्षक के साथ पेश होने को कहा है.
याचिका में अधिवक्ता अंशुमान सक्सैना ने अदालत को बताया कि 28 मार्च 2021 को राजस्थान स्थापना (Case of premature release of prisoner in Rajasthan) दिवस के मौके पर राज्य सरकार ने बंदियों को रिहा करने की घोषणा की थी. इसके तहत आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे कैदियों के चौदह साल की सजा और ढाई साल की रिमिशन अवधि पूरी करने और अन्य मामलों में दो तिहाई सजा भुगत चुके कैदियों को रिहा करने की घोषणा की गई. वहीं ये बंदिश भी रखी गई थी दुष्कर्म और आर्म्स एक्ट जैसे गंभीर मामलों में दंडित कैदियों को रिहा नहीं किया जाएगा.