जयपुर.शहर में 14 अगस्त को भारी बारिश से हुई तबाही का मंजर हटाने के लिए जिला प्रशासन को 82 लाख रुपए की जरूरत है और इसके लिए प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा गया है. प्रस्ताव के तहत नगर निगम, जेडीए के संसाधनों के अलावा करीब 200 मजदूर और 120 से ज्यादा हाइड्रोलिक एक्सेलेवेटर, डंपर, ट्रैक्टर ट्रॉली लगाने की जरूरत बताई गई है.
82 लाख रुपए मिले तो हटेंगे तबाही के मंजर नगर निगम, जेडीए और जिला प्रशासन तबाही के 4 दिन बाद भी लोगों को राहत देने में असफल रहे हैं. पीड़ित लोगों को राहत देने में अभी तक केवल बैठकों का दौर ही चल रहा है. अब जिला प्रशासन ने राज्य सरकार से मदद मांगी है. इसके लिए 82 लाख रुपए का बजट प्रस्ताव भेजा है. प्रस्ताव में यह भी बताया गया है कि जब यह संसाधन जिला प्रशासन को उपलब्ध हो जाएंगे तो बस्तियों, घरों और दुकानों से मिट्टी और मलवा हटाने में 14 दिन का समय लग सकता है. जिला प्रशासन के प्रस्ताव को देखा जाए तो मौजूदा संसाधनों से मलबा और मिट्टी हटाने का काम किया जाएगा, तो इससे महीनों का समय लग सकता है.
जिस तरह से जिला प्रशासन ने प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार को भेजा है. उससे साफ हो गया है कि, जिला प्रशासन के बाद पास अभी भी संसाधनों की कमी है, और ऐसी भारी बारिश के लिए जिला प्रशासन ने मानसून से पहले कोई भी तैयारी नहीं की है. 14 अगस्त को हुई बारिश ने जिला प्रशासन, नगर निगम और जेडीए की तैयारियों की पोल खोल कर रख दी. शहर का ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से फेल साबित हुआ.
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प्रस्ताव के अनुसार 40 हाइड्रोलिक एक्सेलेवेटर (मिट्टी मलवा निकालने वाली मशीन) के लिए 44 लाख 80 हजार रुपए की आवश्यकता आवश्यकता है. इसके अलावा 40 डंपरों के लिए 8 लाख 40 हजार, 40 ट्रैक्टर ट्रॉलियों के लिए 9 लाख 52 हजार और मजदूरों के लिए 19 लाख 60 हजार रुपयों की आवश्यकता पड़ेगी. इस तरह से जिला प्रशासन ने राज्य सरकार को 82 लाख रुपए के बजट का प्रस्ताव भेजा है.
जिला प्रशासन के आपदा प्रबंधन की बात की जाए, तो अभी भी यहां कई संसाधनों की कमी है. जिला प्रशासन के पास खुद के 3 पंप है. और जब जरूरत पड़ती है, तो राहत कार्य के लिए कहीं और से व्यवस्था की जाती है. जयपुर जिला कलेक्ट्रेट में स्थित कंट्रोल रूम में सैकड़ों शिकायतें आती है लेकिन संसाधनों के अभाव में पूरी शिकायतों का निपटारा भी नहीं हो पाता है.
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बता दें कि दिल्ली बाईपास पर तीन कॉलोनियों रहिमन नगर, लाल डूंगरी और सुंदर नगर में 14 अगस्त को मची तबाही के दौरान मलवा और मिट्टी जमा हो गई. कॉलोनियों की सड़कों और घरों में 2 से 3 फीट तक मिट्टी जमा हो गई. यहां तक कि सैकड़ों वाहन भी मिट्टी में दफन हो गए.
4 दिन बीतने के बावजूद भी अभी तक हालात जस के तस हैं. रविवार को कलेक्टर अंतर सिंह मेहरा ने भी शहर का दौरा कर तबाही का जायजा लिया था. सोमवार को इस संबंध में अलग-अलग विभागों की बैठक लेकर रिपोर्ट भी तलब की थी और मंगलवार 82 लाख का प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार को भेजा गया है.