जयपुर. कोरोना के संकट काल में आर्थिक रूप से बेहाल बिजली उपभोक्ताओं की जेब से बकाया बिजली के बिल के भुगतान के लिए जयपुर डिस्कॉम को काफी जतन करने पड़ रहे हैं. तमाम प्रकार की छूट दिए जाने के बावजूद अब भी डिस्कॉम को पूरे प्रदेश में बकाया बिल भुगतान की एवज में करीब 4 हजार करोड़ रुपए उपभोक्ताओं से वसूलने हैं. अब इस वसूली के लिए जयपुर डिस्कॉम ने एक नयाब तरीका निकाला है, जिसे शायद ही आपने कहीं देखा और सुना होगा.
अब डिस्कॉम के कर्मचारी शब्दों की जुगलबंदी के साथ लोगों से बिजली के बिल जमा कराने की अपील कर रहे हैं. उन्होंने कविताओं की तुकबंदी इस तरह बैठाई है कि, जो सुने तुरंत बिजली के बिल जमा करा डालें. फिल्मी गानों के बीच शायराना अंदाज में अपील कर डिस्कॉम कर्मी चाहते हैं कि, शायरी को सुनकर उपभोक्ता बिजली के बकाया बिलों के भुगतान के लिए अपनी जेब ढीली करें. ताकि, खराब माली हालात से जूझ रहे डिस्कॉम को कुछ राहत मिल सके. शब्दों की इसी जुगलबंदी के जरिए उपभोक्ताओं को ये विश्वास भी दिलाया जा रहा है कि, आप बिजली का बिल जमा कराएं. गारंटी है कि, वक्त से पहले जिस तरह मौत नहीं आ सकती. उसी तरह इस पावर हाउस की लाइट कभी जा नहीं सकती. डिस्कॉम ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ताओं के मनोरंजन को ध्यान में रखते हुए वाहनों के जरिए लाउडस्पीकर लगाकर इस प्रकार के कई और संदेश भी प्रसारित करवा रहा है.
बिल का भुगतान करवाने के लिए डिस्कॉम ने कुछ युं बैठाई शब्दों की जुगलबंदी...
एक बात पूरी तरह साफ है, सरकार की ओर से ब्याज पूरी तरह माफ है.
ऊपर वाले की मर्जी के बिना एक पत्ता हिल नहीं सकता, बिजली का बकाया बिल जमा कराने का इससे अच्छा मौका मिल नहीं सकता.
नींद आने से पहले इंसान सो नहीं सकता, जिसका बिल जमा है उसके घर अंधेरा हो नहीं सकता.
इंसान इस दुनिया में अकेला आया है और अकेला जाएगा, जो बिजली का बिल जमा नहीं कराएगा उसके घर में अंधेरा हो जाएगा.
पैसा फर्क डाल देता है रिश्तो में, अब घरेलू बिल जमा कराएं किस्तों में.
वक्त से पहले मौत आ नहीं सकती और इस पावर हाउस की लाइट कभी जा नहीं सकती.
इंसान के पास कोई ना कोई मजबूरी है, लेकिन बत्ती जलाई है तो बिल देना भी जरूरी है.