जयपुर.इसे संयोग कहा जाए या अपशगुन या फिर भूत-प्रेत का साया...राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Legislative Assembly) से जुड़ा एक ऐसा ही संयोग है, जिसमें विधानसभा में 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ पाते. अब किरण माहेश्वरी के निधन के बाद राजस्थान विधानसभा में विधायकों की संख्या घटकर 197 रह गई है. इसे राजस्थान विधानसभा से जुड़ा सहयोग कहेंगे या फिर अपशगुन, लेकिन यह सच है कि विधानसभा में शुरुआत में जो विधायक चुनकर आते हैं, वह पूरे 200 विधायक 5 साल तक विधानसभा में नहीं रह पाते. पिछले दिनों कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी और उसके बाद मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल के निधन के बाद अब मंत्री किरण माहेश्वरी के आकस्मिक निधन से 200 सदस्यों वाली राजस्थान विधानसभा में विधायकों की संख्या 197 रह गई है.
12 विधायकों का कार्यकाल के बीच ही निधन...
साल 2001 में विधानसभा के ज्योति नगर स्थित नए भवन में शिफ्ट होने के बाद से अब तक 12 विधायकों की कार्यकाल के बीच में ही मृत्यु हो चुकी है. इसमें किशन मोटवानी, जगत सिंह दायमा, भीखाभाई, भीमसेन चौधरी, अरुण सिंह, रामसिंह विश्नोई, नाथूराम अहारी, कीर्ति कुमारी और कल्याण सिंह चौहान के साथ ही कैलाश त्रिवेदी, मास्टर भंवरलाल मेघवाल और अब किरण माहेश्वरी का नाम शामिल हो गया है.
15वीं विधानसभा की शुरुआत ही 199 विधायकों से हुई...
साल 2018 के विधानसभा चुनाव के एलान के ठीक बाद रामगढ़ से बहुजन समाज पार्टी प्रत्याशी लक्ष्मण चौधरी की मौत होने पर एक सीट पर चुनाव नहीं हुआ. जिसके चलते 15वीं विधानसभा का सत्र 199 विधायकों के साथ ही शुरू हुआ था और इसके बाद रामगढ़ सीट पर चुनाव हुए और विधायक की संख्या 200 हो गई, लेकिन इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में दो विधायक सांसद बन गए और फिर संख्या 198 रह गए थी. हालांकि, उसके बाद उपचुनाव से सीट भरी गई, लेकिन फिर विधायकों के निधन से सीट खाली होती गई. मतलब 200 विधायक विधानसभा के भीतर पूरे 5 साल एक साथ नहीं बैठ पाते.