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जयपुर के गुनहगारों को तब तक फांसी पर लटकाए रखो जब तक उनकी मौत न हो जाएः कोर्ट

बम कांड मामलों की विशेष अदालत ने 13 मई 2008 को जयपुर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के चारों आतंकियों को हत्या और विधि विरूद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम की धारा 16(1)ए के तहत मृत्यु दंड की सजा सुनाई है. अदालत ने कहा कि अभियुक्तों को तब तक फांसी पर लटकाए, जब तक उनकी मौत ना हो जाए.

बम कांड मामलों की विशेष अदालत,  Special court of bomb cases
बम कांड मामलों की विशेष अदालत

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Published : Dec 20, 2019, 8:39 PM IST

Updated : Dec 20, 2019, 10:28 PM IST

जयपुर. बम कांड मामलों की विशेष अदालत ने 13 मई 2008 को जयपुर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के चारों अभियुक्त मोहम्मद सैफ, सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान, सलमान और सरवर आजमी को हत्या और विधि विरूद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम की धारा 16(1)ए के तहत मृत्यु दंड की सजा सुनाई है.

जयपुर बम ब्लास्ट के आतंकियों को फांसी की सजा

अदालत ने कहा कि अभियुक्तों को तब तक फांसी पर लटकाए, जब तक उनकी मौत ना हो जाए. अदालत ने मोहम्मद सैफ को माणक चौक थाने के पास, सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान ने फूलों के खंदे में, सलमान ने सांगानेर गेट हनुमान मंदिर के पास और सरवर आजमी को चांदपोल हनुमान मंदिर के पास बम रखने के मामले में फांसी की सजा दी है. साथ ही अदालत ने अन्य 4 जगहों पर हुए बम धमाकों के लिए आपराधिक षडयंत्र सहित अन्य धाराओं में अभियुक्तों को आजीवन कारावास सहित अन्य सजाएं और जुर्माने की सजा दी है.

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अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्तों ने सुनियोजित षड्यंत्र के तहत देश के खिलाफ अपराध किया है. यह अपराध अत्यन्त क्रूर, विभत्स और दिल दहलाने वाला और समाज में दहशत फैलाने वाला है. इसके लिए फांसी से कम कोई सजा ही नहीं हो सकती है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यदि ये आतंकी जिंदा रहे तो समाज को खतरा होगा. इसी इंडियन मुजाहिद्दीन पर जयपुर की घटना के बाद अहमदाबाद और दिल्ली में भी विस्फोट करने का आरोप है.

फैसला सुनकर हंसते रहे दरिंदे

अदालत ने बारी-बारी से अभियुक्तों को सजा सुनाई. सबसे पहले सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई. इस पर दूसरे अभियुक्तों ने हंसते हुए सैफुर की तरफ देखा. इसी तरह अदालत एक-एक कर अभियुक्तों को सजा सुनाती रही और अभियुक्त मुस्कुराते रहे.

मृतकों के परिजनों को क्षतिपूर्ति

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वैसे तो सरकार ने मृतकों के परिजनों को क्षतिपूर्ति राशि दी है. लेकिन यदि परिजनों और घायलों को उचित मुआवजा नहीं दिया गया है तो इन्हें पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत मुआवजा दिया जाए.

सेवाकाल की पहली फांसी, अब नहीं लिखूंगा इस पेन से

आदेश सुनाने के बाद पीठासीन अधिकारी अजय कुमार शर्मा ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि यह उनके सेवाकाल की पहली और आखिरी फांसी है. अगले महीने 31 जनवरी को वे सेवानिवृत्त होने वाले हैं. उन्होंने कहा कि जिस पेन से फांसी के आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, उसे अब भविष्य में किसी काम में नहीं लेंगे. प्रकरण को अंजाम तक पहुंचाने के लिए उन्होंने अवकाश में भी दिन-रात काम किया.

अब आगे क्या

अभियुक्तों को फांसी मिलने के बाद अब राज्य सरकार की ओर से सजा को कंफर्म करने के लिए हाईकोर्ट में डेथ रेफरेंस पेश किया जाएगा. इसके अलावा यदि अभियुक्त सजा के खिलाफ अपील नहीं करते हैं तो भी जेल प्रशासन की ओर से जेल अपील पेश की जाएगी, जहां दोनों पक्षों को सुनकर हाईकोर्ट फैसला करेगा.

अभी ये गुनाहागार बाकी

चारों आरोपियों की दोषसिद्धि के अलावा अभी आरोपी साजिद बडा, मोहम्मद खालिद और शादाब फरार चल रहे हैं. जबकि सरगना मोहम्मद आतिफ सहित छोटा साजिद एनकांउटर में मारे जा चुके हैं. वहीं, आरिज उर्फ जुनैद, असदुल्ला अख्तर उर्फ हड्डी और अहमद सिद्दी उर्फ यासीन भटकल जेल में बंद हैं.

कोर्ट छावनी में बदला

प्रकरण में आईएम आतंकियों की भूमिका को देखते हुए पुलिस ने अदालत खुलते ही परिसर को अपने कब्जे में ले लिया. करीब 150 पुलिसकर्मी मुख्य परिसर के दरवाजों पर सुरक्षा में मौजूद रहे. इस दौरान अनावश्यक लोगों को कोर्ट परिसर में आने से रोका गया. वहीं, कोर्ट स्टाफ सहित अन्य लोगों को भी तलाशी लेकर ही अंदर प्रवेश दिया गया.

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पीठासीन अधिकारी को भी विशेष सुरक्षा के साथ अदालत कक्ष तक पहुंचाया गया. वहीं, सुनवाई के दौरान अदालत कक्ष में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति का मोबाइल बंद करवाकर बाहर रखवाया गया. यहां तक की कोर्ट स्टाफ को भी दिनभर फोन का उपयोग नहीं करने दिया गया.

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गौरतलब है कि 13 मई 2008 को शहर के 8 स्थानों पर सिलसिलेवार बम धमाके किए गए थे. वहीं, एक बम को जिंदा बरामद किया गया था. घटना में 72 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि दर्जनों लोग घायल हुए थे. प्रकरण में अदालत एक शहबाज हुसैन को दोषमुक्त कर दिया था.

Last Updated : Dec 20, 2019, 10:28 PM IST

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