जयपुर. बम कांड मामलों की विशेष अदालत ने 13 मई 2008 को जयपुर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के चारों अभियुक्त मोहम्मद सैफ, सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान, सलमान और सरवर आजमी को हत्या और विधि विरूद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम की धारा 16(1)ए के तहत मृत्यु दंड की सजा सुनाई है.
अदालत ने कहा कि अभियुक्तों को तब तक फांसी पर लटकाए, जब तक उनकी मौत ना हो जाए. अदालत ने मोहम्मद सैफ को माणक चौक थाने के पास, सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान ने फूलों के खंदे में, सलमान ने सांगानेर गेट हनुमान मंदिर के पास और सरवर आजमी को चांदपोल हनुमान मंदिर के पास बम रखने के मामले में फांसी की सजा दी है. साथ ही अदालत ने अन्य 4 जगहों पर हुए बम धमाकों के लिए आपराधिक षडयंत्र सहित अन्य धाराओं में अभियुक्तों को आजीवन कारावास सहित अन्य सजाएं और जुर्माने की सजा दी है.
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अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्तों ने सुनियोजित षड्यंत्र के तहत देश के खिलाफ अपराध किया है. यह अपराध अत्यन्त क्रूर, विभत्स और दिल दहलाने वाला और समाज में दहशत फैलाने वाला है. इसके लिए फांसी से कम कोई सजा ही नहीं हो सकती है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यदि ये आतंकी जिंदा रहे तो समाज को खतरा होगा. इसी इंडियन मुजाहिद्दीन पर जयपुर की घटना के बाद अहमदाबाद और दिल्ली में भी विस्फोट करने का आरोप है.
फैसला सुनकर हंसते रहे दरिंदे
अदालत ने बारी-बारी से अभियुक्तों को सजा सुनाई. सबसे पहले सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई. इस पर दूसरे अभियुक्तों ने हंसते हुए सैफुर की तरफ देखा. इसी तरह अदालत एक-एक कर अभियुक्तों को सजा सुनाती रही और अभियुक्त मुस्कुराते रहे.
मृतकों के परिजनों को क्षतिपूर्ति
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वैसे तो सरकार ने मृतकों के परिजनों को क्षतिपूर्ति राशि दी है. लेकिन यदि परिजनों और घायलों को उचित मुआवजा नहीं दिया गया है तो इन्हें पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत मुआवजा दिया जाए.
सेवाकाल की पहली फांसी, अब नहीं लिखूंगा इस पेन से
आदेश सुनाने के बाद पीठासीन अधिकारी अजय कुमार शर्मा ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि यह उनके सेवाकाल की पहली और आखिरी फांसी है. अगले महीने 31 जनवरी को वे सेवानिवृत्त होने वाले हैं. उन्होंने कहा कि जिस पेन से फांसी के आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, उसे अब भविष्य में किसी काम में नहीं लेंगे. प्रकरण को अंजाम तक पहुंचाने के लिए उन्होंने अवकाश में भी दिन-रात काम किया.