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म्यूजियम ट्रस्ट को राहत, जलेब चौक पार्किंग से बेदखल नहीं करने के आदेश

जयपुर की अतिरिक्त जिला न्यायालय की ओर से सवाई मानसिंह म्यूजियम ट्रस्ट के पक्ष में फैसला सुनाया है. कोर्ट ने राज्य सरकार को वादी को जलेब चौक पार्किंग से बेदखल न करने और संपत्ति के उपयोग-उपभोग में बाधा पैदा न करने के लिए पाबंद किया है.

Jaipur Additional District Court
जयपुर की अतिरिक्त जिला न्यायालय

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Published : Aug 13, 2022, 10:29 AM IST

जयपुर. अतिरिक्त जिला न्यायालय क्रम-1 महानगर प्रथम (Jaipur Additional District Court) ने महाराजा सवाई मानसिंह म्यूजियम ट्रस्ट व अन्य को राहत देते हुए सुनवाई की है. कोर्ट ने राज्य सरकार को पाबंद किया है कि वे इन्हें जलेब चौक पार्किंग से बेदखल न करें और न ही इस संपत्ति का उपयोग-उपभोग में बाधा पैदा करें. अदालत ने यह आदेश महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय म्यूजियम ट्रस्ट (SMS Museum Trust) व सूर्या सिक्योरिटी सर्विस के दावे पर सुनवाई करते हुए दिए.

दावे में कहा गया कि जलेब चौक स्थित पार्किंग को वर्ष 1999 से ट्रस्ट को पार्किंग सुविधा मुहैया कराने के लिए सूर्या सिक्योरिटी सर्विस ने ठेके पर ले रखा है. इस ट्रस्ट का गठन मानसिंह ने वर्ष 1959 में किया था. इस पार्किंग का स्वामित्व सवाई भवानी सिंह ने वर्ष 1972 में ट्रस्ट को दे दिया था. दावे में कहा गया कि मानसिंह और भारत सरकार के बीच हुए कोवेनेन्ट में अन्य संपत्तियों के साथ इस संपत्ति को निजी संपत्तियों की सूची में दर्शाया गया है. संविधान के अनुच्छेद 363 के तहत कोवेनेन्ट को किसी कोर्ट में चुनौती भी नहीं दी जा सकती.

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करीब 19 साल पहले पेश इस दावे में कहा गया कि 3 जनवरी 2003 को मुख्य सचिव और जीएडी विभाग के अधिकारियों ने जलेब चौक पर क्राफ्ट प्रदर्शन आयोजित करने की बात कहकर चौक खाली करने को कहा. ऐसे में राज्य सरकार को निर्देश दिए जाए कि वादी को संपत्ति से बेदखल नहीं किया जाए. इसके जवाब में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जलेब चौक ट्रस्ट की संपत्ति नहीं है. कोवेनेंट के आधार पर बनी इन्वेंट्री में जलेब चौक सहित अन्य संपत्तियों सहित सरकार की संपत्ति वर्णित की गई है. ऐसे में ट्रस्ट को जलेब चौक का कोई भी हिस्सा ठेके पर देने का अधिकार नहीं है. इसलिए संपत्ति का कब्जा हटाकर राज्य सरकार को सौंप देना चाहिए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने राज्य सरकार को पाबंद किया है कि वह वादी को बेदखल न करें और संपत्ति के उपयोग-उपभोग में बाधा पैदा न करें.

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