जयपुर.एनडीए ने उप राष्ट्रपति पद के लिए राजस्थान से आने वाले जगदीप धनखड़ को अपना उम्मीदवार (Vice President NDA Candidate Jagdeep Dhankhar) घोषित किया है. पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ की राजनीतिक कर्मभूमि राजस्थान ही रही है और वह झुंझुनू के रहने वाले हैं. ऐसा पहली बार होगा जब लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में अध्यक्ष राजस्थान का ही होगा. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला राजस्थान में कोटा से सांसद हैं. जबकि राज्यसभा में अध्यक्ष उपराष्ट्रपति होते हैं. सब कुछ ठीकठाक रहा तो राजस्थान के किसान परिवार से आने वाले जगदीप धनकड़ उपराष्ट्रपति होंगे.
जगदीप धनखड़ का परिचयःराजस्थान के झुंझुनू जिले के छोटे से गांव किठाना के किसान परिवार में 18 मई 1951 को जगदीप धनखड़ का जन्म हुआ. कानून के अच्छे जानकार धनकड़ मौजूदा वक्त में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं. जगदीप धनखड़ ने 30 जुलाई, 2019 को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल का पदभार ग्रहण किया था.
विद्यालय शिक्षा: जगदीप धनखड़ की प्रारंभिक शिक्षा कक्षा 1 से 5 तक सरकारी प्राथमिक विद्यालय, किठाना गांव में हुई. कक्षा 6 में उन्होंने 4-5 किलोमीटर की दूरी पर सरकारी मिडिल स्कूल घरधाना में प्रवेश लिया. साथ ही गांव के अन्य छात्रों के साथ स्कूल तक पैदल यात्रा की. 1962 में सैनिक स्कूल में सफलतापूर्वक उत्तीर्ण होने के बाद.
राजस्थान विश्वविद्यालय से संबद्ध प्रतिष्ठित महाराजा कॉलेज जयपुर में 3 साल के बीएससी (ऑनर्स) भौतिकी पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया. वहां से स्नातक की उपाधि प्राप्त की. उसके बाद राजस्थान विश्वविद्यालय में एलएलबी पाठ्यक्रम में प्रवेश लेते हुए वर्ष 1978-1979 में उत्तीर्ण किया . जगदीप धनखड़ की स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय में अकादमिक पृष्ठभूमि विशिष्ट रही है.
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यह रही खासियतःजगदीप धनखड़ 10 नवम्बर 1979 से राजस्थान बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में रजिस्ट्रेशन करवाया था. वर्ष 1987 में सबसे कम उम्र में राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन, जयपुर के अध्यक्ष चुने गए. वर्ष 1988 में राजस्थान बार काउंसिल के निर्वाचित सदस्य. वर्ष 1989 में झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से 9वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. 1990 में एक संसदीय समिति के अध्यक्ष बने. इसी साल 1990 में केंद्रीय मंत्री भी बने.
जगदीप धनखड़ को शुभकामनाएं दीं वर्ष 1993-1998 में अजमेर जिले के किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से राजस्थान विधान सभा के लिए चुने गए. लोकसभा और राजस्थान विधानसभा दोनों में, वह महत्वपूर्ण समितियों का हिस्सा थे. धनखड़ केंद्रीय मंत्री रहते हुए यूरोपीय संसद में एक संसदीय समूह के उप नेता के रूप में प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे.
जनता दल और कांग्रेस में भी रहेः धनखड़ केंद्रीय मंत्री भी रहे. झुंझुनूं से 1989 से 91 तक वे जनता दल से सांसद रहे. हालांकि बाद में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. अजमेर से कांग्रेस टिकट पर वे लोकसभा चुनाव हार गए थे. फिर धनखड़ 2003 में बीजेपी में शामिल हो गए. अजमेर के किशनगढ़ से विधायक चुने गए. धनखड़ सिर्फ नेता ही नहीं हैं, बल्कि माने हुए वकील भी हैं. जगदीप धनखड़ सामाजिक आंदोलनों में भी सक्रिय भूमिका में रहे. चाहे सती प्रथा आंदोलन हो या फिर जाट ओबीसी आरक्षण का मामला. धनखड़ ने इन दोनों मामलों में मजबूती से समाज के पक्ष में पैरवी की. राजस्थान के चर्चित सती प्रथा आंदोलन में राजपूत समाज की ओर से और जाट को ओबीसी में दर्जा दिलाने को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ी.
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राज्यपाल बनने के बाद सुर्खियों में रहे धनखड़ः धनखड़ वर्तमान में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं. जहां ममता बनर्जी की सरकार है. धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच के विवाद लगातार सुर्खियों में रहे हैं . राज्यपाल रहते हुए भी जगदीप धनखड़ ने कई बार खुलकर पश्चिम बंगाल सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए. वहीं जगदीप धनखड़ के कार्यकाल में ही बंगाल में राजभवन और सरकार के बीच टकराव की स्थिति लगातार बनती रही. हाल ही में बंगाल सरकार ने विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति जो राज्यपाल ही होता है, उस अधिकार में भी परिवर्तन कर दिया था, जो काफी सुर्खियों में रहा था.
जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने के सियासी मायनेः एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाए गए जगदीप धनखड़ राजस्थान की सियासत में एक समय चर्चित चेहरा रहे हैं. राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रह चुके धनखड़ सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी रहे हैं. राजस्थान में जाटों को आरक्षण दिलाने में भी उनकी अहम भूमिका रही है. धनखड़ को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाकर आलाकमान ने राजस्थान की राजनीति में एक संदेश यह भी दे दिया कि आने वाले विधानसभा चुनाव में जाट समुदाय से अब सीएम का चेहरा नहीं होगा .
आरएसएस के करीबः धनखड़ कानून, सियासत, सियासी दांवपेंच और हर पार्टी के अंदर अपने संबंधों की महारत के लिए जाने जाते हैं. धनखड़ के बारे में यह जगजाहिर है कि वे आरएसएस के बहुत करीबी हैं और शायद यही वजह है कि उन्हें पहले पश्चिमी बंगाल का राज्यपाल और अब एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया गया है. धनखड़ कांग्रेस या अन्य राजनीतिक दलों में भी अपनी अच्छी पकड़ रखते हैं.
इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद बीजेपी के नेताओं के साथ-साथ प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने भी उन्हें बधाई दी है. आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र सिंह राठौड़ ने सोशल मीडिया के जरिए जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनने पर बधाई दीं. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी जगदीप धनखड़ को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं.
पैतृक गांव में खुशी का महौलःपूर्व सांसद और बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को एनडीए का उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर झुंझनू जिले में उनके पैतृक गांव किठाना समेत पूरे शहर में खुशी का माहौल है. पंचायत समिति के पास शहर में रहने वाले उनके परिजनों ने मिठाई बांटकर खुशी जताई. भाजपा के युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष जय सिंह मांठ ने इसे जिले के लिए गौरवशाली पल बताया है.
जगदीप धनखड़ के प्रयास से बंद हुई थी लॉटरी: राजस्थान की लॉटरी का भंडाफोड़ केस में जगदीप धनखड़ नहीं पैरवी की थी. तब के वकीलों ने बताया कि फीस लेने के बजाए उन्होंने सद्भाव से राजस्थान हाईकोर्ट में केस लड़ा था. तत्कालीन न्यायाधीश अंशुमान सिंह ने राजस्थान सहित भारत सरकार को इस मामले में नोटिस जारी किया था . बाद में उन्होंने अपने फैसले में केंद्र सरकार से लॉटरी अविलम्ब बन्द करने का आग्रह किया और इस तरह धनखड़ के सद्प्रयास से लॉटरी देश से विदा हो गई.