जयपुर. राजस्थान में एक कहावत है 'घर का पूत कुंवारा डोले और पड़ोसियों का फेरा'. ये कहावत राजस्थान के उन जिलों के विधायकों पर सटीक बैठती हुई दिखाई दे रही है, जहां से प्रदेश के बड़े नेता आते हैं (Big Vs Small In Congress). मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जोधपुर जिला हो, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का सीकर, सचिन पायलट का टोंक या अजमेर, शांति धारीवाल का कोटा, प्रमोद जैन भाया का बारां या फिर रघु शर्मा का अजमेर. इन सभी जिलों से प्रदेश के वो नेता आते हैं जो राजस्थान कांग्रेस के अग्रिम पंक्ति के बड़े नेता हैं. भले ही इन बड़े नेताओं के जिलों के विधायकों की सरकार के अंदर तक दखल होती है, लेकिन इसका नुकसान भी जिले के विधायकों को उठाना पड़ता है.
दरअसल, बड़ों के चक्कर में इनको नजरअंदाज कर दिया जाता है (Rajasthan Congress Under Dilemma). इन बड़े नेताओं के जिले के विधायकों को सरकार में कोई बड़े पद नहीं मिलते हैं. कारण साफ है कि जब बड़े नेता किसी जिले से आते हैं तो उन्हें मिले पद ही प्रमुख हो जाते हैं बाकी विधायक इन बड़े नेताओं के कद के आगे गौण हो जाते हैं. ऐसा नही है कि इन जिलों से विधायकों के जितने की संख्या कम हो बल्कि जोधपुर से 10 में से 7, सीकर के 8 में से 7,टोंक के 4 में से 3 और बारां के 4 में से 3 विधायक चुनाव जीते हैं लेकिन प्रतिनिधित्व इनके प्रमुख और नामदार नेताओं को ही मिला है. यंहा तक कि सचिन पायलट के टोंक ओर गोविंद डोटासरा के सीकर जिले से तो इन दोनों नेताओं समेत एक भी मंत्री नही है यही हाल रघु शर्मा के अजमेर जिले का है.
भरतपुर, बीकानेर, दौसा, अलवर ,बांसवाड़ा,बूंदी,जलोर लगभग 100 % पद पाने वाले जिलेराजस्थान के भरतपुर, बीकानेर, दौसा, अलवर ,बांसवाड़ा,बूंदी,जलोर वो जिले है जहां के विधायकों को सरकार में हिस्सेदारी लगभग 100% है.इन जिलों के सभी विधायको को सरकार में पद दिए गए हैं हालांकि भरतपुर ,दौसा ,अलवर ने तो तो सरकार बनाने में अपने पूर्व विधायक भी जिता कर विधानसभा भेजें लेकिन बाकी जिलों में कम विधायक होकर भी उनका प्रतिनिधित्व पूरा है.
8 जिले प्रतिनिधत्व के मामले में लगभग Zero:राजस्थान के 8 जिले ऐसे हैं जिन्हें प्रतिनिधित्व के नाम पर कुछ नहीं मिला. इन जिलों में से भी नागौर, टोंक ,प्रतापगढ़, सवाई माधोपुर और करौली ऐसे जिले हैं जहां से ज्यादातर विधायक कांग्रेस के हैं. इक्का-दुक्का को छोड़कर इन जिलों को कुछ खास प्रतिनिधित्व नहीं मिला. इसके अलावा उदयपुर ,अजमेर ,डूंगरपुर, गंगानगर और हनुमानगढ़ को भी सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली है.
ये जिले आगे:
1.भरतपुर- जिलेमें 7 विधानसभा सीटें हैं जिनमें भरतपुर की सीट कांग्रेस ने अपने सहयोगी दल आरएलडी को दी थी .सभी 7 सीटों पर कांग्रेस या कांग्रेस के समर्थक जीते तो सरकार में हिस्सेदारी भी उसी अनुपात में मिली.विश्वेन्द्र सिंह, जाहिदा खान, भजन लाल जाटव ओर सुभाष गर्ग को मंत्री बनाया गया, तो जोगिंदर अवाना और वाजिब अली को राजनीतिक नियुक्ति मिली. एकमात्र विधायक अमर सिंह जाटव को कोई पद नहीं मिला.
2.दौसा-यहां 5 विधानसभा सीटें हैं जिनमें से चार पर कांग्रेस के विधायक हैं. चारों को ही सत्ता में हिस्सेदारी मिल गई है. परसादी लाल मीणा, ममता भूपेश, मुरारी लाल मीणा को मंत्री बनाया गया, तो जी आर खटाणा को राजनीतिक नियुक्ति मिली.
3.बीकानेर- जिले में 7 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के 3 विधायकों ने जीत दर्ज की और तीनों को ही मंत्री पद दिया गया. बीडी कल्ला गोविंद राम मेघवाल और भंवर सिंह भाटी गहलोत सरकार में मंत्री हैं.
4.अलवर- जिले के 2 मंत्री, 2 को राजनीतिक नियुक्ति और दो के परिजनों को राजनीतिक नियुक्ति मिली. केवल एक विधायक जोहरी लाल मीणा इस नेमत से महरूम रहे. शकुंतला रावत और टीकाराम जूली मंत्री बने. संदीप यादव ओर दीपचंद खेरिया को राजनीतिक नियुक्ति मिली, तो वही बाबूलाल कठूमर के बेटे और विधायक साफिया जुबेर के पति जुबेर खान को राजनीतिक नियुक्ति देकर एडजस्ट कर दिया गया .एकमात्र जोहरी लाल मीणा ऐसे विधायक रहे जिन्हें सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली.
5.बांसवाड़ा-महेंद्रजीत मालवीय और अर्जुन बामणिया मंत्री बने तो निर्दलीय विधायक रमिला खड़िया को राजनीतिक नियुक्ति देकर सरकार में एडजस्ट किया गया.
6.बाड़मेर-7 में से 6 विधायक कांग्रेस के अभी 1 मंत्री और 1 विधायक को राजनीतिक नियुक्ति मिली है. हेमाराम चौधरी को मंत्री और मेवाराम जैन को राजनीतिक नियुक्ति दी गई आधा की हरीश चौधरी पहले मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में पंजाब के प्रभारी भी हैं लेकिन सरकार में हिस्सेदारी में 6 विधायकों में से चार विधायक खाली हाथ.
7.बारां-4 में से 3 कांग्रेस विधायक सरकार में हिस्सेदारी केवल एक को.बारां जिले की 4 में से 3 सीट पर कांग्रेस के विधायक हैं, लेकिन मंत्री केवल प्रमोद जैन भाया को बनाया गया है पानाचंद मेघवाल और निर्मला सहरिया खाली हाथ.
8.भीलवाड़ा-7 में से 2 कांग्रेस विधायक लेकिन 1 को सरकार में हिस्सेदारी मिली. रामलाल जाट मंत्री बने तो गायत्री त्रिवेदी अभी खाली हाथ है.
9.बूंदी-3 विधानसभा सीट में से एक कांग्रेस विधायक को मंत्री पद मिला. बूंदी जिले में 3 विधानसभा में से एक विधानसभा सीट पर अशोक चांदना विधायक हैं जिन्हें मंत्री बनाया गया.
10. चित्तौड़गढ़- 5 में से दो कांग्रेस विधायक और एक मंत्री हैं. उदयलाल आंजना को मंत्री बनाया गया तो राजेंद्र बिधूड़ी खाली हाथ हैं.
11.चूरू-चूरू जिले के 6 विधायकों में से चार कांग्रेस के है. इनमें से एक को राजनीतिक नियुक्ति तो एक के परिजन को राजनीतिक नियुक्ति देकर एडजस्ट किया गया. विधायक कृष्णा पूनिया को दी गई राजनीतिक नियुक्ति, तो विधायक भंवरलाल शर्मा के बेटे को राजनीतिक नियुक्ति देकर किया गया एडजस्ट. नरेंद्र बुडानिया और मनोज मेघवाल खाली हाथ.
12.धौलपुर-धौलपुर जिले के चार विधायकों में से तीन विधायक कांग्रेस के हैं. 3 में से 1 विधायक को राजनीतिक नियुक्ति मिली 1 के पिता को किया गया एडजस्ट. खिलाड़ी लाल बैरवा को राजनीतिक नियुक्ति तो रोहित बोहरा के पिता को मिली राजनीतिक नियुक्ति ,विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा खाली हाथ.