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सरिस्का अभयारण्य में हॉलीडे होम और गेस्ट हाउस निर्माण की कोई योजना नहीं है: वन राज्य मंत्री

विधानसभा में विधायक संजय शर्मा के सवाल पर वन राज्य मंत्री सुखराम विश्नोई ने बताया कि गुजरात की तर्ज पर सरिस्का अभयारण्य में होली डे होम और गेस्ट हाउस निर्माण की कोई योजना नहीं है. साथ ही बताया कि होटल टाइगर हेवन और होटल बैरावास में कोर्ट द्वारा स्थगन आदेश दिए गए हैं.

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सरिस्का अभयारण्य में गेस्ट हाउस के निर्माण का मुद्दा विधानसभा में उठा

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Published : Mar 13, 2020, 7:28 PM IST

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार ने साफ कर दिया कि गुजरात की तर्ज पर सरिस्का अभयारण्य में होली डे होम और गेस्ट हाउस निर्माण की वर्तमान में कोई योजना नहीं है. वन राज्य मंत्री सुखराम विश्नोई ने शुक्रवार को विधानसभा में बताया कि सरिस्का अभयारण्य क्षेत्र में 5 निजी होटल संचालित हैं और टाइगर रिजर्व कोर में एक होटल संचालित है. इन सभी होटलों का निर्माण 1 अप्रैल 2003 से पहले हुआ है और इसके बाद किसी होटल का निर्माण नहीं हुआ है.

सरिस्का अभयारण्य में गेस्ट हाउस के निर्माण का मुद्दा विधानसभा में उठा

विश्नोई ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गुजरात की तर्ज पर सरिस्का अभयारण्य में होली डे होम अथवा गेस्ट हाउस निर्माण की वर्तमान में कोई योजना नहीं है. वन राज्य मंत्री सुखराम विश्नोई ने प्रश्नकाल में विधायक संजय शर्मा और नेता प्रतिपक्ष द्वारा इस संबंध में पूछे गये प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा कि सरिस्का अभयारण्य क्षेत्र में संचालित 5 निजी होटलों में से सरिस्का पैलस का निर्माण राजा महाराजाओं के समय में हुआ है, जिसे वर्तमान में मैसर्स शिब्बा व्हील्स प्राइवेट लि. द्वारा संचालित किया जा रहा है. इसे निरस्त करने की कार्रवाई जारी है.

साथ ही बताया कि होटल टाइगर हेवन और होटल बैरावास में कोर्ट द्वारा स्थगन आदेश दिए गए हैं. होटल टाइगर हेवन के प्रकरण में अगली पेशी की तारीख 17 मार्च 2020 निर्धारित है. इसके अतिरिक्त होटल टाइगर डैन आरटीडीसी द्वारा संचालित है. इस होटल को 17 मई 1975 को वन विभाग द्वारा आरटीडीसी को सौंप दिया गया था.

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उन्होंने बताया कि होटल सरिस्का ढाणी का संचालन वर्तमान में बंद है और सरिस्का टाइगर रिजर्व कोर में एक होटल अमनबाग संचालित है, जिसका मामला वर्तमान में अजमेर न्यायालय में लंबित है. वर्तमान में बिना अनुमति के किसी भी होटल अथवा रिसोर्ट का निर्माण नहीं किया जा रहा है.

इससे पहले विश्नोई ने विधायक संजय शर्मा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 33(क) अनुसार अभयारण्य के भीतर वाणिज्यिक पर्यटक लॉज, होटलों, चिडियाघरों और सफारी उप वनों का संनिर्माण राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड के पूर्व अनुमोदन के पश्चात ही करवाया जा सकता है.

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वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में उक्त प्रावधान दिनांक 1 अप्रैल, 2003 से अंतः स्थापित किया गया है. सरिस्का अभयारण्य क्षेत्र में 5 निजी रिसोर्ट, होटल संचालित हैं. इनमें सरिस्का पैलेस, सरिस्का (रूंध कालीघाटी), टाइगर डेन, सरिस्का (रूंध कालीघाटी), होटल टाइगर हेवन, अमराकाबास, बैरावास स्थित होटल, बैराबास, सरिस्का ढाणी, इन्दोक शामिल हैं.

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