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सियासी उठापटक में अटका राज्य महिला आयोग का गठन, पूर्व अध्यक्ष बोली-दो साल से आयोग क्वॉरेंटाइन

राजस्थान में 2 साल से अटके महिला आयोग अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियों को लेकर राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा ने गहलोत सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार अपनी सरकार बचाने में लगी रही. वहीं सारी नियुक्तियां अटक गई.

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Published : Sep 9, 2020, 2:59 PM IST

राजस्थान महिला आयोग, Rajasthan latest news
महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष ने गहलोत सरकार को घेरा

जयपुर. देश व प्रदेश के आंकड़े बताते हैं कि महिला उत्पीड़न के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. खासतौर पर कोरोना काल में इस प्रकार के मामले तेजी से बढ़े हैं लेकिन राजस्थान में महिलाओं की सुनवाई का मुख्य केंद्र राज्य महिला आयोग ही बीते 2 साल से क्वॉरेंटाइन की स्थिति में है. ये कहना है राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा का.

महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष ने गहलोत सरकार को घेरा

आयोग क्वॉरेंटाइन है, नहीं मिल रहा महिलाओं को न्याय

करीब 2 साल से अटकी महिला आयोग अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियों को लेकर सुमन शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. जिसमें सुमन शर्मा ने कहा कि मौजूदा गहलोत सरकार की प्राथमिकता में महिलाओं की सुरक्षा है ही नहीं, केवल प्रदेश सरकार और कांग्रेस बयानों में महिलाओं की सुरक्षा की प्राथमिकता की बात ही करते हैं. जबकि वास्तविकता यह है कि राज्य महिला आयोग का कार्यकाल पूरा हुए 2 साल से अधिक बीत चुका है लेकिन मौजूदा सरकार ने ना तो अब तक आयोग के अध्यक्ष और ना ही उसके सदस्यों की घोषणा की है. ऐसी स्थिति में आयोग काम ही नहीं कर पा रहा है. फिर महिलाओं को न्याय कहां मिलेगा.

महिला अत्याचार के मामले में राजस्थान एक और दो नंबर की स्थिति में

सुमन शर्मा के अनुसार जब वे आयोग के अध्यक्ष थी, तब करीब 30,000 से अधिक मामले पेंडिंग थे लेकिन उन सबका निस्तारण किया और पेंडेंसी 0 पर लाकर खड़ी की. महिलाओं पर उत्पीड़न और अत्याचार के मामले में भी राजस्थान की स्थिति में सुधार किया लेकिन आज देश में राजस्थान की स्थिति महिला उत्पीड़न के मामलों में नंबर 1 और 2 पर बनी हुई है. जहां तक पेंडेंसी की बात है तो पेंडेंसी तो 50 हजार के पार पहुंच गई होगी.

सरकार बचाने के चक्कर में अटकी सारी नियुक्तियां

सुमन शर्मा का यह भी आरोप है कि प्रदेश सरकार और उसके मुखिया का पूरा समय केवल अपनी सरकार को बचाने में लगा रहा लेकिन इस दौरान यदि इस महत्वपूर्ण महिला आयोग पद को भर दिया जाता तो शायद आज यह स्थिति नहीं होती. महिलाओं की सुनवाई भी यथावत होती रहती.

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शर्मा के अनुसार महिला आयोग में सुनवाई होने पर पुलिस थानों पर दबाव रहता है कि वह संबंधित मामले में तुरंत कार्रवाई करें लेकिन जब आयोग में सुनवाई ही नहीं होगी तो पुलिस पर दबाव कैसे बनेगा और न्याय जल्द कैसे मिल पाएगा.

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