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नकली डीजल बनाने की फैक्ट्री लगाने वाला मास्टरमाइंड पूछताछ में उगल रहा कई राज

जयपुर कमिश्नरेट स्पेशल टीम ने मंगलवार को नकली डीजल बनाने वाली फैक्ट्री का पर्दाफाश कर मालिक को गिरफ्तार किया था. उसके बाद आरोपी से लगातार पूछताछ की जा रही है, जिसमें अनेक चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं.

Jaipur Police News,  Fake Diesel Making Factory
नकली डीजल फैक्ट्री लगाने वाले मास्टरमाइंड से पूछताछ जारी

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Published : Aug 26, 2020, 7:45 PM IST

जयपुर. राजधानी जयपुर पुलिस की कमिश्नरेट स्पेशल टीम की ओर से मंगलवार को नकली डीजल बनाने वाली फैक्ट्री का पर्दाफाश किया था. टीम ने मामले में फैक्ट्री संचालक अर्जुन लाल यादव को गिरफ्तार किया था. आरोपी से कमिश्नरेट स्पेशल टीम के सदस्यों की ओर से लगातार पूछताछ की जा रही है, जिसमें अनेक चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं.

नकली डीजल फैक्ट्री लगाने वाले मास्टरमाइंड से पूछताछ जारी

पूछताछ में आरोपी ने यह बात कबूली है कि उसे फैक्ट्री लगाने का कोई भी तकनीकी अनुभव नहीं है. वह केवल देसी जुगाड़ से ही जयपुर में फैक्ट्री का संचालन करने के बाद विभिन्न जिलों में फैक्ट्री लगा रहा था.

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एडिशनल पुलिस कमिश्नर क्राइम अजय पाल लांबा ने बताया कि नकली डीजल बनाने वाली फैक्ट्री का संचालन करने वाला आरोपी अर्जुन लाल यादव पढ़ा लिखा नहीं है. आरोपी को केवल अपना नाम लिखना और हस्ताक्षर करना ही आता है. इसके साथ ही फैक्ट्री पर काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को वहां पर लगाए गए उपकरणों का तकनीकी ज्ञान नहीं है. इसके साथ ही फैक्ट्री में जो बॉयलर लगाया गया है, वह भी मानकों पर खरा नहीं उतरता है.

अजय पाल लांबा ने बताया कि यदि बॉयलर में ब्लास्ट होता तो फैक्ट्री के 1 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सैकड़ों लोगों की जान भी जा सकती है. पूछताछ में आरोपी ने यह बात भी कबूली है कि उसने मात्र देसी जुगाड़ से फैक्ट्रियां लगाई थी. आरोपी को इस तरह की फैक्ट्रियों का मास्टरमाइंड है और उसे राजस्थान के कई अन्य जगहों पर भी इसी तरह के प्लांट लगाने के ऑफर मिले हैं.

ऐसे तैयार किया जाता है नकली डीजल

वाहनों के इंजन से निकलने वाले कायल ऑयल को 20 से 25 रुपए प्रति लीटर खरीद कर उसमें क्ले मिट्टी मिलाई जाती है. उसके बाद बड़े बॉयलर प्लांट में एक बार में 8 हजार लीटर काला तेल डालकर 400 से 450 डिग्री तापमान तक गर्म करने के बाद ठंडा कर दूसरे बॉयलर में रिफाइन किया जाता है. उसके बाद दूसरे बॉयलर में रिफाइन हुए ऑयल को एक बार फिर से रिफाइन करते हुए उसे तीसरे बॉयलर में खाली किया जाता है.

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तीसरे बॉयलर में तैयार होकर आए ऑयल को डीजल बताकर मार्केट में लंबे रूट पर चलने वाली बसों, ट्रकों एवं पिकअप चालकों को बेच दिया जाता था. इसके साथ ही माइनिंग में लगी हुई जेसीबी व अन्य उपकरणों के लिए भी इस नकली डीजल को बेचा जाता था.

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