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साइबर क्राइम: फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने वाली गैंग से पूछताछ जारी, सरकारी कर्मचारियों की भूमिका की जांच

जयपुर कमिश्नरेट के विशेष अपराध एवं साइबर क्राइम थाना पुलिस द्वारा फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने वाले गिरोह के दो बदमाशों को गिरफ्तार करने के बाद उनसे लगातार पूछताछ की जा रही है.

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Published : Apr 29, 2021, 4:14 PM IST

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सरकारी कर्मचारियों की भूमिका की जांच

जयपुर.कमिश्नरेट के विशेष अपराध एवं साइबर क्राइम थाना पुलिस द्वारा फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने वाले गिरोह के दो बदमाशों को गिरफ्तार करने के बाद उनसे लगातार पूछताछ जारी है. पुलिस गिरफ्त में आए गैंग के सदस्यों द्वारा सांगानेर तहसीलदार और उपखंड अधिकारी के डिजिटल सिग्नेचर का फर्जी तरीके से इस्तेमाल कर विभिन्न तरह के प्रमाण पत्र जारी किए गए. इस पूरे प्रकरण में उपखंड अधिकारी और सांगानेर तहसीलदार कार्यालय में कार्यरत सरकारी कर्मचारियों की भूमिका को लेकर भी पुलिस द्वारा जांच की जा रही है. साथ ही फर्जी प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले 11 लोगों की भूमिका को लेकर भी पुलिस द्वारा जांच की जा रही है.

सरकारी कर्मचारियों की भूमिका की जांच

डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने बताया, बुधवार को विशेष अपराध एवं साइबर क्राइम थाना पुलिस द्वारा अमित अग्रवाल और मोहम्मद मुस्तकीम को सांगानेर तहसीलदार और उपखंड अधिकारी की एसएसओ आईडी का गलत तरीके से इस्तेमाल कर फर्जी जाति प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र और आय प्रमाण पत्र बनाने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्त में आई गैंग का सदस्य मोहम्मद मुस्तकीम रामगंज थाना इलाके में ई-मित्र का संचालन किया करता है. ऐसे लोग जो विभिन्न तरह के प्रमाण पत्र बनाने के इच्छुक हैं. लेकिन उनके पास संबंधित दस्तावेज मौजूद नहीं है, उन्हें फर्जी प्रमाण पत्र बना कर देता है.

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फर्जी ईमेल आईडी डीओआईटी के जरिए एसएसओ आईडी से करवाई अटैच

गिरफ्त में आए आरोपियों से हुई पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ है कि दोनों बदमाशों ने एक फर्जी ईमेल आईडी डीओआईटी के जरिए सांगानेर तहसीलदार और उपखंड अधिकारी की एसएसओ आईडी के साथ अटैच करवाई, जिसका इस्तेमाल कर बदमाशों ने सांगानेर तहसीलदार और उपखंड अधिकारी के डिजिटल हस्ताक्षर का इस्तेमाल कर लोगों को फर्जी प्रमाण पत्र जारी किए. ऐसे में जिन लोगों को विभिन्न तरह के प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं, उनमें से एक भी व्यक्ति प्रमाण पत्र पाने का हकदार नहीं है. इसके साथ ही फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने की एवज में प्रति व्यक्ति 4 से 5 हजार रुपए की राशि गैंग के सदस्यों द्वारा ली गई है.

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जिन 11 लोगों को फर्जी प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं, वे लोग कौन हैं और उनकी नागरिकता कहां की है. इन तमाम पहलुओं को लेकर भी पुलिस जांच कर रही है. सांगानेर तहसीलदार और उपखंड अधिकारी के कार्यालय में कार्यरत सरकारी कर्मचारियों की भूमिका भी इस पूरे प्रकरण में संदिग्ध मानी जा रही है. गैंग का सदस्य मोहम्मद मुस्तकीम साल 2018 में भी फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है, जिसमें जयपुर तहसीलदार कार्यालय के कर्मचारी की मिलीभगत भी उजागर हो चुकी है.

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