जयपुर. हाथों, चेहरे और शरीर के एक्स्प्रेशन से बातचीत करने की भाषा को सांकेतिक भाषा यानी साइन लैंग्वेज कहा जाता है (International Sign Language Day 2022). दूसरी अन्य भाषाओं की तरह संकेतिक भाषा के भी अपने व्याकरण और नियम हैं. सांकेतिक भाषा बधिरों के लिए महत्वपूर्ण भाषा है. आज हम अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मना रहे है. इसकी स्थापना विश्व बधिर महासंघ (World Federation of Deaf) ने की थी. जिसका उद्देश्य है जो सुनने से लाचार हैं उनकी भावनाओं को, उनके मन की बात को आम लोगों तक पहुंचाना.
दुनिया में ऐसे करोड़ों लोग हैं जो सुनने की क्षमता से वंचित हैं या बहुत ही कमजोर हैं. इस समस्या की वजह से उन्हें अपने निजी जीवन में बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उन्हीं के लिए रची गई सांकेतिक भाषा सभी लोगों को एक करने का काम भी करती है. Etv भारत आज आप को उन 10 बेसिक साइन लैंग्वेज के बारे में बताएगा जो प्रदेश , देश या फिर विदेश के हर शख्स के लिए जरूरी हैं.
10 बेसिक सांकेतिक भाषा:
1.सीधे हाथ की पहली उंगली यदि चहरे के सामने घुमाई जाने पर उसका नाम पूछने अथवा उसका संकेतो मे अन्य की ओर से दी गई पहचान से किया जाता है.
2. यदि दोनों हाथों को एक पिरामिड की तरह चहरे के सामने जोड़ा जाए तो , ये निवास संबंधी जानकारी का संकेत है.
3. पहली उंगली से नाक की लोंग का इशारा ऊपर की और ले जाते समय माता के विषय में जानकारी की ओर इशारा है.
4. मूछों को मरोड़ते हुए यदि ऊपर की ओर ले जाने पर पिता का संकेत.