जयपुर. राज्य सरकार ने एक संशोधित अधिसूचना जारी कर मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजनान्तर्गत सरलता एवं बेहतर क्रियान्वयन के लिए योजना के तहत दी जाने वाली ऋण राशि पर दी जाने वाली ब्याज अनुदान निर्धारित किया है. इस संशोधन के बाद अब योजना के तहत अधिकतम 25 लाख रुपये तक की ऋण राशि पर 8 प्रतिशत, 25 लाख से अधिक एवं 5 करोड़ रुपये तक 6 प्रतिशत एवं 5 करोड़ रुपये से अधिक एवं 10 करोड़ रुपये तक की ऋृण राशि पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान देय होगा.
संयुक्त शासन सचिव, उद्योग (ग्रुप-2) चिन्मयी गोपाल से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस योजना के अन्तर्गत बैंकों द्वारा विनिर्माण, सेवा एवं व्यापार आधारित उद्यम की स्थापना, विस्तार, विविधीकरण एवं आधुनिकीकरण के उद्देश्य हेतु सयंत्र एवं मशीन, वर्क शेड/भवन, फर्नीचर, उपकरण, कच्चे माल इत्यादि के लिए अधिकतम 10 करोड़ रुपये तक का ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा. ऋण का स्वरूप कम्पोजिट ऋण/सावधि एवं कार्यशील पूंजी (सीसी लिमिट सहित) होगा.
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इस योजनान्तर्गत वित्तीय संस्थानों द्वारा विनिर्माण, सेवा एवं व्यापार आधारित उद्यम की स्थापना, विस्तार, विविधीकरण एवं आधुनिकीकरण के उद्देश्य हेतु भूमि, सयंत्र एवं मशीन, वर्क शेड/भवन, फर्नीचर, उपकरण, कच्चे माल इत्यादि के लिए अधिकतम 10 करोड़ रुपये तक का ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा.
इसी तरह प्रोजेक्ट रिपोर्ट में भूमि प्रोजेक्ट का भाग होने पर भूमि हेतु कुल ऋण राशि का अधिकतम 25 प्रतिशत ऋण ब्याज अनुदान हेतु पात्र होगा. ऋण का स्वरूप प्रोजेक्ट की आवश्यकतानुसार विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र में कम्पोजिट ऋण अथवा केवल सावधि ऋण तथा व्यापार क्षेत्र में कम्पोजिट ऋण अथवा सावधि ऋण अथवा कार्यशील पूंजी (अधिकतम 25 लाख रुपये तक के ऋण), (सीसी लिमिट सहित) होगा. विस्तार/विविधीकरण/आधुनिकीकरण के मामलों में विस्तारित प्रोजेक्ट हेतु लिए गए अतिरिक्त सावधि ऋण अथवा कार्यशील पूंजी पर ही ब्याज अनुदान दय होगा. योजना के तहत प्रथम बार स्वीकृत ऋण राशि में किसी प्रकार की वृद्धि ब्याज अनुदान हेतु नहीं मानी जाएगी.
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संपार्श्विक प्रतिभूति (colleteral security) मुक्त ऋृण को प्रोत्साहन - भारतीय रिर्जव बैंक के दिशा-निर्देशानुसार 10 लाख रुपये तक के ऋृण पर संपार्श्विक प्रतिभूति की मांग नहीं की जाएगी. 10 लाख रुपये से अधिक के ऋण को Credit Guarantee Trust Fund For Micro and Small Enterprises (CGTMSE) से जोड़ा जा सकेगा. इसमें फीस की राशि का वहन लाभार्थी द्वारा किया जाएगा तथा मुद्रा योजना में होने पर यथास्थिति उस योजना में वहन किया जाएगा.