राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर उतरे बीमा कर्मी, दी न्यू इंडिया इंश्योरेंस के क्षेत्रीय कार्यालय पर किया प्रदर्शन

निजीकरण के विरोध में बीमाकर्मियों ने जयपुर में प्रदर्शन किया है. इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की नेशनल इंश्योरेंस, न्यू इंडिया इंश्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के कर्मचारी और अधिकारियों ने हिस्सा लिया.

Insurance workers protested, jaipur news
निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर उतरे बीमाकर्मी

By

Published : Mar 17, 2021, 9:31 PM IST

जयपुर. ज्वाइंट फोरम ऑफ ट्रेड यूनियंस एंड एसोसिएशन इन पब्लिक सेक्टर इंश्योरेंस कंपनीज के आह्वान पर आयोजित अखिल भारतीय हड़ताल के अंतर्गत बुधवार को जयपुर में नेहरू प्लेस स्थित दी न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के क्षेत्रीय कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया. इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की नेशनल इंश्योरेंस, न्यू इंडिया इंश्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के कर्मचारी-अधिकारियों ने हिस्सा लिया. जनरल इंश्योरेंस एम्प्लॉइज एसोसिएशन नॉर्थ जोन जयपुर यूनिट के सचिव संजय बग्गा ने बताया कि सरकारी स्वामित्व वाली सामान्य बीमा कम्पनियों के निजीकरण, बीमा सेक्टर में एफडीआई में 49% से बढ़ाकर 74% की वृद्धि, अगस्त 2017 से लम्बित वेतन का पुनरीक्षण, 1995 की स्कीम के अनुसार सभी को पेंशन तथा एनपीएस का प्रावधान रद्द करने, 30% तक पारिवारिक पेंशन में वृद्धि आदि मांगों को लेकर यह हड़ताल रखी गई है.

निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर उतरे बीमाकर्मी

यह भी पढ़ें-जयपुर में नए थाने : बजट में घोषित 4 नए थानों को लेकर जयपुर पुलिस कर रही सर्वे

बग्गा का कहना है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वर्ष 2021-22 के बजट भाषण में सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनी के चालू वित्त वर्ष में पूर्ण निजीकरण की घोषणा ने बीमा लाभ प्राप्त करने वाली जनता के बड़े हिस्से के साथ-साथ 4 पीएसजीआई कंपनियों के कर्मचारियों और अधिकारियों को निराश किया है. इन चार राष्ट्रीयकृत बीमा कंपनियों ने केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए महज 19.5 करोड़ रुपए की शुरुआती पूंजी और 1000 कर्मचारियों और 300 कार्यालयों के साथ अपना कारोबार शुरू किया था और राष्ट्रीयकरण के 50 वर्षों के बाद आज वही चार कंपनियां देश के हर कोने में करीब 8000 कार्यालयों के साथ काम कर रही हैं और इस वर्ष उन्होंने 73,000 करोड़ रुपए का प्रीमियम अर्जित किया है.

बग्गा का कहना है कि इस प्रक्रिया में चारों कंपनियों ने 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक का एक बड़ा संपत्ति आधार बनाया है और विभिन्न सरकारी योजनाओं और पब्लिक लिमिटेड कंपनियों में 1,78,977 करोड़ रुपये का निवेश भी किया है. उन्होंने सरकारी योजनाओं को भी वित्तपोषित किया है और देश के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए भी भारी निवेश किया है. इन कम्पनियों ने हमारी आबादी के अत्यंत गरीब और सीमांत वर्गों को लाभान्वित करने के लिए अब तक 10 लाख करोड़ की बीमा पॉलिसी बेची है. 4 कंपनियों ने सफलतापूर्वक प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना-व्यक्तिगत व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना को मात्र 12 रुपए की प्रीमियम में 2 लाख रुपए का बीमा उपलब्ध कराया है. उन्होंने देश भर में प्रधानमंत्री बीमा योजना और फसल बीमा योजना को भी सफलतापूर्वक लागू किया है.

यह भी पढ़ें-सरकार को कंपनियां चला रही हैं, अगर कानून वापस नहीं लिए तो कंपनियों के गोदाम तोड़ने का टारगेट बनाएंगे: राकेश टिकैत

बग्गा ने कहा कि चारों कंपनियां सरकार की आरक्षण नीति को सही तरीके से लागू कर रही हैं और अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को रोजगार सुनिश्चित कराने के अलावा हजारों युवाओं को सालाना रोजगार दे रही हैं, जैसे कि स्थायी रोजगार, एजेंट, सर्वेयर आदि के रूप में. इन बीमा कम्पनियों का निजीकरण दलित समुदायों को रोजगार से वंचित करेगा और आरक्षण नीति को भी कमजोर करेगा. प्रदर्शन कर रहे बीमाकर्मियों का कहना है कि सार्वजनिक बीमा कंपनियों के निजीकरण के परिणामस्वरूप केवल कुछ बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियां भारत के वित्तीय एवं बीमा बाजार पर कब्जा कर लेगी और आम आदमी को सस्ती प्रीमियम पर बीमा सेवाओं से वंचित करेंगी. बीमा में विदेशी पूंजी निवेश (एफडीआई) में बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप विदेशी कंपनियों को भारतीय बीमा बाजार पर नियंत्रण हासिल होगा और इससे विदेशी देशों को अपनी पूंजी की वृद्धि का अवसर मिलेगा. इससे हमारी सरकार के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण पर भी बड़ा असर पड़ेगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details