जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर स्वायत्त शासन विभाग ने सभी निकायों में सीवर और सेप्टिक टैंक के सफाई कार्य में मानवीय उपयोग निषेध मानते हुए, ये काम आधुनिक मशीनों और सुरक्षा उपकरणों के साथ करने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए इमरजेंसी रेस्पांस सैनिटेशन यूनिट का गठन करने के निर्देश दिए हैं. सभी नगर निगम, नगर परिषद और नगरपालिकाओं को 15 दिसंबर तक ईआरएसयू का गठन कर निदेशालय को अवगत कराना होगा.
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बीते दिनों सीएम अशोक गहलोत ने नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों और सफाई कर्मचारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की थी. इस दौरान नगरीय निकाय अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि ये सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी सफाईकर्मी को सीवरेज की सफाई के लिए चेंबर में नहीं उतरना पड़े. ये काम पूरी तरह से मशीनों से ही करवाया जाए. वहीं संसाधन उपलब्ध कराने के लिए 156 करोड़ रुपए सैंक्शन किए थे.
हालांकि अभी कांट्रेक्टर इस काम को करवा रहे हैं. सफाई कर्मचारी ही सीवरेज और नालों की सफाई का काम कर रहे हैं. इसके चलते अब स्वायत्त शासन विभाग ने सभी नगरीय निकायों को आदेश जारी किए हैं. इसमें स्पष्ट लिखा गया है कि सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई कार्य में मानवीय उपयोग निषेध किया गया है. ये कार्य आधुनिक मशीनों और सुरक्षा उपकरणों के साथ करने के लिए और नियमित सफाई, अनुरक्षण, अधिकतम यांत्रिकरण, निर्धारित नियमों और मानक संचालन प्रक्रिया द्वारा किया जाना सुनिश्चित किया जाए.
साथ ही सभी नगरीय निकायों को अपने स्तर पर इमरजेंसी रेस्पॉन्स सैनिटेशन यूनिट (ERSU) का गठन करने के निर्देश दिए हैं. नगर निगम में स्वास्थ उपायुक्त नगर परिषद में आयुक्त और नगर पालिका में अधिशासी अधिकारी इसके प्रमुख होंगे. वहीं इस यूनिट में नगर परिषद स्तर तक सहायक अभियंता (पर्यावरण) को संयोजक बनाने को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं. जबकि कनिष्ठ अभियंता और सैनिटरी इंस्पेक्टर की संख्या निकाय की जनसंख्या के अनुरूप तय करने के निर्देश दिए गए हैं. नगरीय निकायों को 15 दिसंबर तक ईआरएसयू का गठन कर निदेशालय को अवगत कराना होगा.