जयपुर. कोटा में नवजात बच्चों की मौत से जुड़े मामले में बड़ी खबर सामने आयी है. राज्य सरकार की तरफ से गठित उच्च स्तरीय कमेटी ने प्रशासनिक लापरवाही मानी है. मामले में अस्पताल अधीक्षक और पीडियाट्रिक HOD के बीच कोआर्डिनेशन की कमी मानी गयी.
जयपुर स्थित स्वास्थ्य भवन राज्य सरकार की उच्च स्तरीय कमेटी ने साफ सफाई समेत कई व्यवस्थाओं में भी खामी मानी गयीं. रिपोर्ट के आधार पर अधीक्षक और HOD पर कार्रवाई की गाज गिरी है. कोटा मेडिकल कॉलेज में रिक्त चल रहे सह आचार्य शिशु औषध 3 पदों को लेकर भी फैसला लिया गया है. इन तीनों पदों को सहायक आचार्य शिशु औषध से भरने की स्वीकृति जारी की गई है.
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कमेटी के अनुसार अर्जेंट टेंपरेरी बेसिस पर ये तीनों पद भरे जाएंगे.कोटा अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में केंद्रीय टीम के सदस्यो की चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा भी चर्चा हुई. सचिवालय में चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया और चिकित्सा सचिव सिद्धार्थ महाजन के साथ बैठक टीम की बैठक हुई. टीम ने सिस्टम इंप्रूवमेंट को लेकर चर्चा की.
अस्पताल की बेड क्षमता को बढ़ाने पर फोकस किया गया. टीम के सदस्यों ने अस्पताल को बताया ओवरलोडेड बताते हुए काफी पुराने अस्पताल में सिस्टम इंप्रूवमेंट की जरूरत बताई.बैठक में बताया गया कि बगैर जरूरत के केस हायर सेंटर पर लाना गलत व्यवस्था है. इसकी वजह से अस्पताल ओवरलोडेड की स्थिति में है टीम के सदस्यों ने दिया सुझाव दिया कि सामान्य मामलों को सीएससी लेवल पर ही हैंडल किया जा सकता है. इसके लिए सीएससी लेवल के चिकित्सकों की जवाबदेही तय हो.
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मेडिकल कॉलेज के अस्पताल को टर्सरी सेंटर के रूप में विकसित किया जाए. गायनी और पीडियाट्रिक के हिसाब से नर्सिंग स्टाफ को ट्रेंड किया जाए. टीम ने कहा कि बच्चों की गंभीरता के हिसाब से उन्हें कैटिगराइज करके वार्डों में रखा जाए.