जयपुर. कोविड-19 की दूसरी लहर ने समाज के हर तबके पर असर डाला है. काम-धंधा ठप होने से लोगों की आजीविका प्रभावित हुई है. लेकिन महंगाई लगातार रिकॉर्ड तोड़ रही है. खाद्य सामग्री के बढ़ते दाम ने लोगों का बजट बिगाड़कर रख दिया है. हालांकि दुकानदारों की अपनी पीड़ा है. उनका तर्क है कि आगे से उन्हें जो भाव मिल रहा है, उसी के हिसाब से दाम तय हो रहे हैं.
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कोरोना काल में महंगाई रोज नए रिकॉर्ड बना रही है. हालात यह हैं कि रोजमर्रा की वस्तुओं की बढ़ी हुई कीमतों ने आमजन की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है. महामारी, लॉकडाउन और काम-धंधे चौपट होने के बीच लगातार बढ़ती महंगाई ने आमजन की कमर तोड़कर रख दी है.
खाद्य तेलों के बढ़े दाम ने मध्यमवर्गीय लोगों की जेब पर सबसे ज्यादा असर डाला है. तेल की कीमतों में 70 से 80 रुपए की बढ़ोतरी हुई है. आटा भी 5-7 रुपए किलो महंगा बिक रहा है. दालों की कीमतों में भी इस दौर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
एक साल पहले सरसों का तेल 130 रुपए लीटर था. अब यह 200 रुपए लीटर बिक रहा है. रिफाइंड तेल 105 रुपए प्रति लीटर से 170 रुपए लीटर पहुंच गया है. सूरजमुखी का तेल भी एक साल में 130 से 180 रुपए लीटर पहुंच गया है.
इस साल खाद्य वस्तुओं के दाम में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. जनवरी में आटा 25 रुपए किलो था. अब 32 रुपए किलो बिक रहा है. चना 68 से बढ़कर 75 रुपए प्रति किलो, अरहर 100 से बढ़कर 125 रुपए प्रति किलो, उड़द का दाम 105 से बढ़कर 120 रुपए किलो पहुंच गया है.
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कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के चलते बाजार में सख्तियां बढ़ने से भी जरूरी वस्तुओं के दाम पर असर पड़ा है. शक्कर इन 2 महीनों में 36 रुपए से बढ़कर 40 रुपए किलो, चाय पत्ती 240 रुपए से बढ़कर 300 रुपए किलो, चावल 20-30 रुपए किलो से बढ़कर 30-45 रुपए किलो, गुड़ 40 रुपए से बढ़कर 50 रुपए किलो, चना दाल 60 से बढ़कर 75 रुपए किलो, तुअर दाल 100 रुपए से बढ़कर 115 रुपए किलो, उड़द दाल 95 रुपए से बढ़कर 110 रुपए किलो, मिर्ची 170 से बढ़कर 200 रुपए किलो और काबुली चने 100 से बढ़कर 125 रुपए किलो हो गए हैं. इसके अलावा साबू दाना, नमकीन, फल और सब्जी के दाम में भी बढ़ोतरी हुई है. इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर हुआ है.
आम जनता कहीं न कहीं कालाबाजारी और मुनाफाखोरी को जरूरी वस्तुओं के दाम बढ़ने का कारण मान रही है. हालांकि व्यापारियों की भी अपनी पीड़ा है. कोरोना काल में पहले से ही व्यापार चौपट था. अब लॉकडाउन के कारण उनकी हालत भी पतली हो गई है. व्यापारियों का कहना है कि मुनाफाखोरी और कालाबाजारी नहीं हो रही है. लेकिन अगर हमें आगे से ही माल महंगा मिलेगा तो हम क्या कर सकते हैं?
पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों ने भी बढ़ाई परेशानी
पेट्रोल-डीजल के लगातार बढ़ रहे दाम ने आम आदमी की जेब पर सीधा असर डाला है. लगातार बढ़ रही महंगाई में भी इनकी बढ़ती कीमतों का अहम योगदान माना जा रहा है. वर्तमान में पेट्रोल 100 रुपए लीटर मिल रहा है. डीजल भी 95 रुपए लीटर पहुंच गया है. इसके चलते परिवहन शुल्क बढ़ा है.
- डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी और माल भाड़ा बढ़ने का असर भी जरूरी वस्तुओं की कीमतों पर पड़ा है.
- लॉकडाउन के चलते सप्लाई चेन भी टूटी है, जिसके चलते आपूर्ति की तुलना में मांग बढ़ने से भी कीमतों पर असर हुआ है.
- कोरोना संकट के बीच कई उद्योगों को मजदूरों के पलायन की समस्या का भी सामना करना पड़ा है. ऐसे में फैक्ट्रियां तो चालू हैं, लेकिन मजदूर कम होने से उत्पादन पर भी असर पड़ा है.
कारण चाहे जो भी हो लेकिन हकीकत यह है कि कोरोना संकट के इस दौरे में काम-धंधे बंद होने और नौकरियों पर संकट होने के साथ ही आमजन की आजीविका प्रभावित हुई है. ऐसे हालात में जरूरी वस्तुओं के दाम बढ़ने से आमजन महामारी और महंगाई की दोहरी मार झेल रहा है.
वर्तमान में कोरोना संक्रमण पर काबू पाने का दावा तो सरकार कर रही है. लेकिन महामारी के इस दौर में लगातार बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने में सरकार भी फेल होती दिख रही है.