जयपुर. लॉकडाउन में कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के केंद्र सरकार के आदेश के खिलाफ कुछ औद्योगिक संस्थान सुप्रीम कोर्ट पहुंच रहे हैं. करीब 9 औद्योगिक संगठनों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जा रही है.
फोर्टी, विश्वकर्मा इंडस्ट्रियल एरिया एसोसिएशन, राजस्थान स्टील चैंबर और फाउंड्री एसोसिएशन सहित अन्य की ओर से कहा गया है की उनके उद्योग लॉकडाउन के चलते पिछले 22 मार्च से बंद पड़े हैं. इसके अलावा कई उद्योगों के संचालकों ने अपने गोदाम और ऑफिस आदि किराए पर ले रखे हैं.
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लॉक डाउन की स्थिति में सरकार को उनकी मदद करनी चाहिए और मजदूरों को पीएफ, ईएसआई और सीईएस फंड आदि से भुगतान करना चाहिए. उद्योग बंद रहने के कारण उनमें कोई उत्पादन और विक्रय नहीं हो रहा है. ऐसे में वे अपने मजदूरों को वेतन देने में सक्षम नहीं है.
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 केंद्र सरकार को लॉकडाउन में किसी निजी प्रतिष्ठान को कर्मचारियों को पूरा वेतन देने का निर्देश देने का अधिकार नहीं देता है. केंद्र सरकार की ओर से गत कि 29 मार्च को जारी आदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1948 का उल्लंघन करता है.
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औद्योगिक विवाद अधिनियम में प्रावधान है कि प्राकृतिक आपदा के समय कर्मचारियों को वेतन का 50 फ़ीसदी हिस्सा दिया जा सकता है. सरकार ने निजी प्रतिष्ठानों की वित्तीय क्षमता पर विचार किए बिना इस तरह का आदेश जारी किया है. ऐसे में सरकार के इस अतार्किक और मनमाना निर्देश को रद्द किया जाए.