जयपुर. राज्य की गहलोत सरकार ने इंदिरा रसोई योजना की शुरुआत जोर शोर से की थी. वहां प्रतिदिन 20 से 25 फीसदी थालियां ही उठ रही हैं. ईटीवी भारत की ओर से इंदिरा रसोई की इसी हकीकत को सामने लाने के बाद, अब नगर निगम प्रशासन ने आम जनता के बीच इसका प्रचार करने का फैसला लिया है. नगर निगम प्रशासन ऑटो रिक्शा चालकों की मदद से इंदिरा रसोई का प्रचार-प्रसार करेगा.
ज्यादातर इंदिरा रसोइयों में केवल 20 से 25 प्रतिशत थाली ही इस्तेमाल हो रही हैं प्रदेश की गहलोत सरकार ने पूर्वर्ती वसुंधरा सरकार की अन्नपूर्णा रसोई योजना का स्वरूप बदल कर इंदिरा रसोई योजना की शुरुआत की. योजना के तहत राजधानी जयपुर में भी हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम क्षेत्र में 20 रसोइयों का संचालन हो रहा है. लेकिन यहां महज 20 से 25 फीसदी भोजन की थाली ही इस्तेमाल हो रही हैं. ईटीवी भारत ने जब इस हकीकत को प्रशासन के सामने रखा, तो निगम प्रशासन ने आम जनता को इंदिरा रसोई तक पहुंचाने के लिए कवायद शुरू की है.
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प्रशासन इंदिरा रसोई का प्रचार करेगा और इसका जरिया ऑटो रिक्शा को बनाया गया है. दोनों निगम कमिश्नर ने संयुक्त रूप से ऑटो रिक्शा यूनियन के पदाधिकारियों के समक्ष शुक्रवार को पोस्टर का विमोचन किया. इन पोस्टर को ऑटो रिक्शा पर चस्पा किया जाएगा. इस पोस्टर में शहर की तमाम 20 रसोइयों का ब्योरा शामिल किया गया है.
राज्य सरकार ने गरीब और जरूरतमंद लोगों को 8 रुपए में पौष्टिक भोजन देने की जो योजना शुरू की, उसके तहत रसोई में सुबह शाम रोजाना 300-300 लोगों का भोजन पहुंच रहा है. इस थाली की कॉस्ट 20 रुपए पड़ रही है. जिसमें 12 रुपए राज्य सरकार वहन कर रही है. जो फिलहाल घाटे का सौदा साबित हो रहा है. अस्पतालों में बनाई गई इंदिरा रसोई को छोड़ दिया जाए, तो किसी में भी 100 से ज्यादा लोग भोजन के लिए नहीं पहुंच रहे. ऐसे में अब प्रचार-प्रसार के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को इंदिरा रसोई तक पहुंचाने की कवायद की जा रही है.