जयपुर.स्वतंत्रता दिवस हो या फिर गणतंत्र दिवस हर सरकारी जलसा आमतौर पर विधान सभा सचिवालय और बड़ी गवर्नमेंट बिल्डिंग के इर्द-गिर्द ही नजर आता है. लेकिन जयपुर में ऐसा नहीं होता है. हर खास मौके पर मुख्यमंत्री से लेकर नेता प्रतिपक्ष तक जनता के बीच सड़क पर तिरंगे झंडे को सलामी (flag hoisting at badi chaupar) देते हैं. यहां पर ना तो विधानसभा की ऊंची दिवारें होती हैं और ना ही सचिवालय की कड़ी सुरक्षा.
जयपुर की बड़ी चौपड़ पर साल 1947 के बाद से ही इस परंपरा (unique tradition of flag hoisting) को निभाया जा रहा है. जब देश आजाद हुआ था तो उसकी शाम को बड़ी चौपड़ पर तत्कालीन राज्य प्रमुख टीकाराम पालीवाल ने तिरंगा झंडा फहराया था. इस दौरान पूरे राज परिवार के सदस्य भी मौजूद रहे थे. कांग्रेस नेता गोकुलभाई भट्ट ने भी इस परंपरा को आगे बढ़ाया और फिर सालों से यह रवायत जयपुर की तहजीब का हिस्सा (Best of Bharat) बन चुकी है. जयपुर की बड़ी चौपड़ पर 15 अगस्त हो या फिर 26 जनवरी सत्ता पक्ष की तरफ से पहले मुख्यमंत्री झंडे को फहराते हैं. उसके बाद विपरीत दिशा में नेता प्रतिपक्ष भी तिरंगा लहराने पहुंचते हैं. जयपुर शहर की चारदीवारी में बड़ी चौपड़ पर जनता के बीच जनप्रतिनिधियों का मौजूद होना और देश के प्रमुख राष्ट्रीय पर्व पर शिरकत करना यह जाहिर करता है कि इस रवायत को बेस्ट ऑफ भारत का हिस्सा माना जा सकता है.
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झंडारोहण में निभाते हैं यह परंपराः स्वतंत्रता दिवस (Independence Day 2022) और गणतंत्र दिवस पर बड़ी चौपड़ पर झंडारोहण करने की परंपरा बरसों से चली आ रही है. यहां सत्तारूढ़ पार्टी पूर्वमुखी होकर झंडारोहण करती है. वहीं विपक्ष दक्षिणमुखी होकर झंडारोहण करता है. यहां 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान सबसे पहले आजाद मोर्चा (आजाद मंडल) या यूं कहें जयपुर के युवाओं ने झंडारोहण किया था.
स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजधानी जयपुर का हृदय स्थल कहे जाने वाली बड़ी चौपड़ अनूठी सियासत का साक्षी बनता है. यहां सत्ताधारी और विपक्षी दल परंपरानुसार झंडारोहण करते हैं. करीब 70 सालों से ये परंपरा (unique tradition of flag hoisting) चली आ रही है. पहले झंडारोहण सत्तापक्ष की ओर से होता है और ठीक उसके बाद विपक्षी दल के नेता राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं. इस आयोजन की खास बात यह है कि बड़ी चौपड़ पर झंडारोहण सत्तारूढ़ पार्टी पूर्वमुखी होकर जबकि विपक्ष दक्षिणमुखी होकर झंडारोहण करता आया है. सबसे पहले टीकाराम पालीवाल ने बड़ी चौपड़ पर झंडारोहण करके ये परंपरा शुरू की थी. माना जाता है कि पूर्व में जिस तरह सूर्य उदय होता है उसी तरह सत्तारूढ़ पार्टी का सूर्य उदयमान रहे इसलिए पूर्वमुखी होकर ध्वजारोहण किया जाता है.
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