जयपुर. भारत में अधिकांश लोग ज्योतिष शास्त्र पर भरोसा करते हैं. वे भाग्य में भरोसा करते हैं. ऐसे में लोग अपनी राशि के अनुकूल रत्न पहनकर अपने भाग्य के अनुकूल होने में विश्वास रखते हैं. लोग मानते हैं कि राशि रत्न पहनने से उन्हें आर्थिक, व्यापारिक या आम जीवन में फायदा होगा.
ज्योतिष के मुताबिक राशि रत्न पहनने से लाभ होता है. राशि रत्न लॉटरी का टिकट नहीं है, जिससे इंसान रातों रात करोड़पति बन जाए, लेकिन जिस तरह बारिश में छाता काम आता है, उसी तरह राशि रत्न इंसान को विपदाओं से बचाता है. ज्योतिष के मुताबिक अनुकूल रत्न धारण करने से धारक की मानसिक स्थिति में भी बदलाव आता है. राशि रत्न का प्रभाव लोगों के मन और कार्यों पर पड़ता है. हालांकि गलत राशि रत्न पहनने से विपरीत प्रभाव भी पड़ता है. इसलिए लोग ज्योतिषी की सलाह पर ही राशि रत्न धारण करते हैं.
जयपुर में राशि रत्न कारोबार (भाग 1) जयपुर के जौहरी बाजार स्थित कलर जेम्स के मालिक राशि रत्न विशेषज्ञ रौनक गुप्ता कहते हैं कि श्रद्धा और विश्वास के साथ हर राशि के लिए अलग-अलग रत्न पहने जाते हैं. रत्न रातों-रात किस्मत नहीं बदलते, ये लोगों की समस्याओं को उसी तरह कम करते हैं जैसे बारिश में छाता. राशि रत्नों को विधि-विधान के साथ धारण किया जाता है. राशि रत्न धारण करने से व्यक्ति उन्नति की ओर अग्रसर होता है.
कोरोना काल में बदला व्यापार का तरीका
रौनक गुप्ता कहते हैं कि कोरोना से जयपुर की जेम्स इंडस्ट्री भी प्रभावित हुई है. व्यापार का तरीका बदल गया है. पहले व्यक्ति रत्न अपनी आंखों के सामने देखकर खरीदता था, लेकिन अब फोटो और वीडियो के माध्यम से देश-विदेश में रत्न बेचे जा रहे हैं. कोरोना काल में दुकानदार की साख बहुत काम आ रही है. जिस व्यक्ति ने हमेशा ग्राहक के हित को तरजीह दी है, वह व्यक्ति कोरोना काल में भी किसी न किसी माध्यम से अपने व्यापार में सर्वाइव कर पा रहा है.
जयपुर में राशि रत्न कारोबार (भाग 2) राशि रत्न के प्रकार
हीरा, मोती, पन्ना, मूंगा, माणक, पुखराज, नीलम, गोमेद, लहसुनिया ये सभी रत्न राशियों के अनुकूल पहने जाते हैं. राशि रत्न कारोबारियों के मुताबिक राशि रत्न का बाजार ज्योतिष पर आधारित होता है. ज्योतिष और पंडित ग्रह नक्षत्र के हिसाब से अंगूठी या अन्य आभूषण में रत्न पहनने की सलाह देते हैं. हर ग्रह के हिसाब से अलग-अलग रत्न पहने जाते हैं. 9 प्रकार के राशि रत्न होते हैं.
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9 रत्नों के अलावा इनके उप रत्न भी होते हैं. कई बार 9 रत्न में बजट नहीं बैठते तो उप रत्न पहनने की सलाह दी जाती है. उपरत्न कम बजट में मिल जाते हैं. जैसे मान लीजिये कि 1 कैरेट का हीरा पहनना संभव नहीं है, तो उसे जरकन उपरत्न का सुझाव दिया जाता है. प्रत्येक राशि रत्न के उप रत्न होते हैं. लोग अपने बजट के अनुसार रत्न या उपरत्न खरीदते हैं.
अलग-अलग धातु में पहना जाता है राशि रत्न
राशि रत्न की अंगूठी बनाते समय दो बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है. हर राशि रत्न के हिसाब से अंगूठी की धातु भी अलग हो जाती है. येलो गोल्ड, व्हाइट गोल्ड, तांबा, चांदी जैसे धातुओं में राशि रत्न पहना जाता है. दूसरी खास बात यह होती है कि अंगूठी में पहना हुआ रत्न त्वचा को छूता हुआ होना चाहिए. राशि रत्न को कई लोग अंगूठी में पहनते हैं, तो कई लोग गले में भी पहनते हैं.
राशियों के हिसाब से पहने जाते हैं रत्न राशि रत्नों की कीमत : 50 रुपये से 10 लाख रुपये प्रति कैरेट
राशि रत्न 50 रुपये प्रति कैरेट से लेकर 10 लाख रुपये प्रति कैरेट तक के होते हैं. बजट, शुद्धता, सफाई और रंग के आधार पर अलग-अलग कीमत के राशि रत्न बाजार में उपलब्ध हैं.
ग्रह नक्षत्र और कुंडली के हिसाब से राशि रत्न
पारिवारिक क्लेश, व्यापारिक मंदी, डिप्रेशन समेत अन्य समस्याओं को लेकर जब लोग पंडित या ज्योतिषी के पास जाते हैं, तो उन्हें राशि के हिसाब से रत्न पहनने की सलाह दी जाती है. समस्याओं को दूर करने के लिए पंडित ग्रह नक्षत्र और कुंडली के हिसाब से राशि रत्न पहनने की सलाह देते हैं. कोरोना संकट के बाद राशि रत्न के कारोबार में मंदी आ गई है.
कोरोना के कारण प्रभावित हुए रत्न कारोबार इलेक्ट्रॉनिक्स से प्रभावित रत्न कारोबार
पहले सगाई और विवाह जैसे अवसरों पर उपहार के तौर पर डायमंड रिंग देने का प्रचलन था. अब डायमंड रिंग की जगह मोबाइल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपहारों ने ले ली है. इलेक्ट्रॉनिक सामान का असर भी राशि रत्न कारोबार पर पड़ा है. फिर भी भारत में आभूषण खरीदने की परंपरा रही है. हर व्यक्ति अपने बजट के अनुरूप ज्वेलरी खरीदता है. राशि रत्न अलग-अलग देशों से आयात किये जाते हैं.
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राशि रत्न कारोबारी अमित मेठी ने बताया कि लोग अपनी समस्याओं के निवारण के लिए राशि रत्न पहनते हैं. कोरोना से उबरने के बाद राशि रत्न का कारोबार फिर शुरू हो गया है. राशि रत्न पर लोगों को विश्वास लौटने लगा है. लेकिन विदेशों से कच्चा माल आयात नहीं हो रहा है. टूरिस्ट कम होने की वजह से भी राशि रत्न की बिक्री कम हो रही है.
ज्योतिष के मुताबिक- भाग्य बदलते हैं रत्न क्या कहते हैं ज्योतिषी
ज्योतिषी एवं राशि रत्न कारोबारी वीरेंद्र पुरोहित का कहना है कि राशि रत्न ज्योतिष के आधार पर पहने जाते हैं. कुंडली में सबसे पहले ग्रह देखे जाते हैं. शुभ और अशुभ ग्रह के हिसाब से उपाय बताए जाते हैं. ग्रहों के दृष्टिकोण से रत्न पहने जाते हैं. राशि रत्नों में भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है. भारत मे सदियों से राशि रत्न, रंगीन जेम्स काटे और तराशे जाते हैं. पूरे विश्व से भारत में रॉक्स आती हैं और कटती हैं. उन पर पॉलिश की जाती है. डायमंड की कटिंग सूरत में सबसे ज्यादा होती है. कोरोना से पहले यह व्यापार उच्च स्तर पर था. लेकिन कोरोना के बाद न तो व्यापार चल रहा है और न ही खरीदार मिल पा रहे हैं.
फिर से चमकने को तैयार है रत्न बाजार धार्मिक आयोजन बंद होने से रत्न कारोबार प्रभावित
रत्न कारोबारी इलियास खान ने बताया कि कोरोना की वजह से राशि रत्न कारोबार भी काफी प्रभावित हुआ है. धार्मिक आयोजन बंद होने से भी राशि रत्न कारोबार पर प्रभाव पड़ा है. पर्यटकों की कमी से भी राशि रत्न का कारोबार कम हुआ है. फ्लाइट बन्द होने की वजह से विदेशों में भी सप्लाई नहीं हो पा रही है. कच्चे माल की भी आपूर्ति नहीं हो पा रही है. राशि रत्न का सबसे ज्यादा कारोबार हिंदुस्तान में ही है. भारत में ज्योतिष के हिसाब से लोग राशि रत्न पहनना पसंद करते हैं.
ज्योतिष शास्त्र में राशि रत्नों का विशेष महत्व माना गया है. कुछ लोग राशि रत्न का उपयोग ज्योतिष के हिसाब से करते हैं. तो वहीं कुछ लोग फैशन के लिए रत्न पहनते हैं. विदेशों में ज्यादातर फैशन के लिए ही महंगे रत्न पहने जाते हैं. भारत में ज्यादातर लोग राशिफल के हिसाब से राशि रत्न पहनते हैं.