जयपुर.राजस्थान में पिछले 10 साल से जवाबदेही कानून को लेकर चल रहे (demanding accountability law ) आंदोलन के बावजूद अब तक कानून नहीं लाया गया है. इसी को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं व आम लोगों ने शहीद स्मारक पर मंगलवार से अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है. उनकी मांग है कि इसी विधानसभा सत्र में जवाबदेही कानून पास किया जाए. लोग राशन सामग्री (Indefinite picket started in Jaipur) लेकर पूरी तैयारी के साथ अनिश्चितकालीन धरने में आए हैं.
आम लोगों की शिकायतों का निवारण हो और उसके लिए कानून बनाया जाए. इसलिए पिछले 10 साल से जवाबदेही कानून के लिए आंदोलन चल रहा है. राजस्थान में जवाबदेही कानून के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन हुआ है. 1 दिसंबर 2015 से 10 मार्च 2016 तक पूरे राजस्थान में सूचना का अधिकार अभियान के तहत पहली जवाबदेही यात्रा निकाली गई थी. 2016 में राजस्थान में जवाबदेही कानून पारित करने की मांग को लेकर जयपुर में 22 दिन का धरना दिया गया था. लेकिन अब तक जवाबदेही कानून पारित नहीं किया गया. इसके बाद 2017 और 2018 में भी जवाबदेही कानून के लिए लंबा धरना दिया गया. जवाबदेही क़ानून को लेकर दूसरी जवाबदेही यात्रा 20 दिसंबर 2021 को शहीद स्मारक से शुरू हुई थी. कोविड के कारण 6 जनवरी 2022 को इस यात्रा को बीच में ही रोक दिया गया.
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सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने (Social Activist Nikhil Dey ) बताया कि अक्टूबर 2018 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने जन सूचना पत्र में सामाजिक जवाबदेही कानून लाने का वादा किया था. लेकिन वह वादा आज तक पूरा नहीं हुआ. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2019 में अपने बजट भाषण में जवाबदेही कानून पारित करने की घोषणा की थी. विधानसभा में की गई घोषणा अभी भी अधूरी है. सितंबर 2019 में सामाजिक जवाबदेही कानून का मसौदा तैयार करने और अनुशंसाएं देने के लिए पूर्व प्रशासनिक अधिकारी रामलुभाया की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था. इस समिति में सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे को भी शामिल किया गया था. समिति ने ड्राफ्ट एकाउंटबिलिटी बिल के साथ फरवरी 2020 में मुख्यमंत्री व प्रशासनिक सुधार विभाग को अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी थी. इस रिपोर्ट को आज तक विधानसभा में पेश नहीं किया गया.
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निखिल डे ने बताया कि घोषणापत्र में वादा करने और अलग अलग स्तरों पर लगातार प्रयास करने के बावजूद भी राज्य में जवाबदेही कानून नहीं लाया गया है. उन्होंने बताया कि 15 मार्च तक अनिश्चितकालीन धरना चलेगा और उसके बाद भी कानून नहीं आया तो जवाबदेही यात्रा फिर से शुरू की जाएगी. निखिल डे ने कहा कि आम लोगों की ओर से शिकायत करने के बाद भी उनकी शिकायतों का समाधान नहीं हो रहा है. अधिकारियों और कर्मचारियों की कोई जवाबदेही तय नहीं है. कानून बनने के बाद अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही भी तय हो जाएगी. जवाबदेही कानून बनने के बाद आम जनता के काम होंगें, काम चोरी करने वाले कर्मचारियों-अधिकारियों पर पेनल्टी लगेगी. अच्छे अधिकारियों को भी राहत मिलेगी. क्योंकि जवाबदेही कानून पास होने के बाद अन्य लोग भी काम करेंगे.