जयपुर. राजस्थान में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को रोकना राजस्थान पुलिस के लिए एक बड़ी (accidents in rajasthan a major challenge) चुनौती बन गया है. दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कई तरह के प्रोग्राम भी चलाए जा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी दुर्घटनाओं में कमी नहीं आ पा रही है. लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने के साथ ही नियमों की अवहेलना करने वाले लोगों के विरुद्ध लगातार मोटर व्हीकल एक्ट की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत चालान भी काटे जा रहे हैं. इसके बावजूद भी लापरवाही बरतने वाले लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं.
ऐसे में लोग अपनी गलती से खुद दुर्घटना का शिकार होते हैं या उनकी दूसरे लोग इसकी चपेट (rajasthan people negligence leads to road accident) में आ जाते हैं. प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए तमिलनाडू मॉडल को लागू किए जाने के लिए रोड मैप तैयार किया गया है. आईआईटी मद्रास के सहयोग से इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डाटा बेस प्रोजेक्ट (Integrated Road Accident Data Base Project) को लागू किया जा रहा है. इसके साथ ही ऐसे स्थान जहां पर सर्वाधिक सड़क हादसे घटित हो रहे हैं, उन्हें चिन्हित कर दुर्घटनाओं के कारणों का अध्ययन किया जा रहा है. इसके साथ ही जो खामियां निकल कर सामने आ रही हैं, उन्हें दूर करने का भी काम किया जा रहा है. हालांकि प्रदेश में ट्रैफिक पुलिस में कुल 6712 पुलिसकर्मियों के पद स्वीकृत हैं लेकिन वर्तमान में 3810 पुलिसकर्मी ही कार्यरत हैं. 2902 पुलिसकर्मियों की नफरी की कमी राजस्थान ट्रैफिक पुलिस में चल रही है.
ब्लैक स्पॉट किए जा रहे चिन्हित:एडिशनल पुलिस कमिश्नर हैदर अली जैदी ने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं (increasing number of road accidents in rajasthan) को रोकने के लिए ऐसे ब्लैक स्पॉट चयनित किए जा रहे हैं जहां पर सर्वाधिक हादसे घटित होते हैं. ब्लैक स्पॉट चिन्हित करने के बाद ये देखा जाता है कि उस स्थान पर किसी तरह की कोई इंजीनियरिंग डिफेक्ट तो नहीं है. रोड टूटी हुई है या फिर और क्या कारण है जिसके चलते उस स्थान पर सर्वाधिक हादसे घटित हो रहे हैं. इन तमाम बिंदुओं का अध्ययन करने के बाद एक रिपोर्ट तैयार की जाती है.
उस रिपोर्ट के आधार पर यदि इंजीनियरिंग डिफेक्ट या सड़क की टूट-फूट से संबंधित कोई तथ्य सामने आते हैं, तो संबंधित विभाग को इस बारे में अवगत करवाकर उन खामियों को जल्द से जल्द दूर करने के लिए कहा जाता है. इसके साथ ही यदि किसी स्थान पर ओवर स्पीडिंग की गुंजाइश होती है तो वहां पर वाहनों की स्पीड डिटेक्ट करने वाले ऑटोमेटिक कैमरे इंस्टॉल किए जाते हैं. ताकि ओवर स्पीडिंग करने वाले वाहन चालकों के विरुद्ध कार्रवाई की जा सके.