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कोरोना संक्रमण के दौरान बढ़ी पेलिएटिव केयर की जरूरत, जानें कैसे

कैंसर, एड्स और ऑर्गन फेल्यर जैसी गंभीर बीमारियों में रोगी के दर्द और तकलीफ को कम करने के लिए दी जाने वाली पेलिएटिव केयर की जरूरत कोरोना संक्रमण के दौरान और बढ़ गई है. देश में करीब 60 लाख रोगियों को पेलिएटिव केयर की जरूरत पड़ती है, लेकिन पेलिएटिव केयर की सुविधा की कमी के चलते में 4 प्रतिशत लोग ही इसका लाभ उठा पा रहे हैं.

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बढ़ी पेलिएटिव केयर की जरूरत

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Published : Oct 9, 2020, 11:03 PM IST

जयपुर.'विश्व पेलिएटिव केयर डे' के मौके पर कैंसर चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र के पेलिएटिव केयर विभागाध्यक्ष डॉ. अंजुम खान ने बताया कि, वैश्विक महामारी के दौरान सही समय पर जरूरतमंद तक पेलिएटिव केयर पहुंचाना चुनौतीपूर्ण हो गया है. यही वजह है कि, कोरोना संक्रमण के दौरान कई रोगी गंभीर बीमारी के उपचार में रुकावट के चलते पेलिएटिव केयर की आवश्यकता की श्रेणी में आ चुके हैं.

बढ़ी पेलिएटिव केयर की जरूरत

डॉक्टर अंजुम का कहना है कि, संक्रमण के दौरान सरकार या चिकित्सालय अपने स्तर पर प्रयास कर रही है, लेकिन हर जरूरतमंद को पेलिएटिव केयर मिले. इसके लिए जरूरी है कि, एनजीओ, समाजसेवी संगठन और आमजन भी इसके लिए आगे आएं. पेलिएटिव केयर प्रदान करना महंगा या खर्चीला नहीं है, बस प्रशिक्षण के जरिए घर पर भी पेलिएटिव केयर चिकित्सा दी जा सकती है. इसके लिए रोगी को चिकित्सालय में भर्ती रखना भी अनिवार्य नहीं होता.

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देश में सरकार की ओर से पेलिएटिव केयर प्रोग्राम पर पिछले कुछ सालों में काफी काम किया जा रहा है. वहीं पिछले कुछ समय में राजस्थान में भी जिला स्तर पर कई काम हुए हैं, जिसके तहत डॉक्टर और नर्सेज को ट्रेनिंग भी दी गई. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से प्रदेश के विभिन्न जिलों के डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ को पेलिएटिव केयर सपोर्ट प्रोग्राम की ट्रेनिंग दी जा चुकी है.

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