जयपुर. राजधानी में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान जयपुर परिसर में बहु-उद्देशीय भवन का शिलान्यास समारोह आयोजित हुआ. जिसमें राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधिवत रूप से आधारशिला रख और पट्टिका का अनावरण कर शिलान्यास किया. इस मौके पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और जयपुर शहर सांसद रामचरण बौहरा भी मौजूद रहे. समारोह में राज्यपाल ने अपने उद्बोधन में कहा, कि संस्कृत भारत की आत्मा और विवेक की वाणी है.
बहुउद्देशीय भवन का शिलान्यास समारोह राज्यपाल कलराज मिश्र ने परिसर में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, कि यदि हमें भारत के वास्तविक स्वरूप को जानना है तो संस्कृत का अध्ययन बहुत जरूरी है. क्योंकि भारतीय ज्ञान, विज्ञान, संस्कृति और आध्यात्मिक आधार यही भाषा है. आज पूरा विश्व भौतिकवाद और अशांति से त्रस्त हैं. ऐसे समय में संस्कृत के स्त्रातकों का उत्तरदायित्व है, कि वे हमारे दृश्यों का शांति समन्वय और सद्भाव का संदेश संपूर्ण विश्व में प्रसारित करें.
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कार्यक्रम में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने संस्कृत में अपने उद्बोधन की शुरुआत करते हुए कहा, कि मैं अपने जीवन में संस्कृत की मधुरता का विशेष प्रशंसक हूं. छोटीकाशी जयपुर में संस्कृत अध्यापन की परंपरा का होना सुखदेव योग और संस्कृत बहुत जरूरी है. वहीं लोकसभा में संस्कृत में शपथ लेने वाले एकमात्र सांसद रामचरण बोहरा ने कहा, कि संस्कृत भारतीय नहीं अपितु संपूर्ण विश्व की प्राचीनतम व सर्वाधिक विकसित भाषा है.
इस अवसर पर राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के कुलपति प्रोफेसर परमेश्वर नारायण शास्त्री और जयपुर परिसर के प्राचार्य प्रोफेसर अर्कनाथ चौधरी ने राज्यपाल को विशिष्ट अभिनंदन पत्र समर्पित कर सम्मानित भी किया. समारोह में प्रो. अर्कनाथ चौधरी ने परिसर की विविध गतिविधियों और नवीन भवन की संकल्पना पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान व अन्य विश्वविद्यालय के आचार्य, परिषद के छात्र, अभिभावक और नगर के अन्य गणमान्य नागरिक भी मौजूद रहे.