जयपुर.शहर के लोग एक तरफ घरों में रहने और सोशल डिस्टेंसिंग के नफे-नुकसान से वाकिफ होकर काफी हद तक बाहर नहीं निकले. लेकिन दूसरी तरफ उन लोगों के लिये परेशानी बढ़ गई, जिनका जयपुर में न तो घर है और न ही कोई आसरा. ऐसे लोगों से जब उनकी परेशानियां जानी तो सरकारी मशीनरी की पहुंच से दूर की हकीकत का आभास हुआ. इस सच्चाई के कारण इन लोगों को संक्रमण के खतरे के बीच अपनी जिंदगी बसर करनी पड़ रही है.
ईटीवी भारत ने हकीकत को परखने के लिये जयपुर शहर के परकोटे यानि चारदीवारी का रुख किया. जहां चांदपोल बाजार में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले इक्का-दुक्का नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में बरामदों में अपना वक्त काटते हुए नजर आये. इन लोगों को दर्द ये था कि जयपुर में इनके पास कोई आसरा नहीं है. पहले दिन में मजदूरी के बाद रात में बरामदों का आसरा था, पर अब वक्त-वक्त पर पुलिस आती है और इन्हें डंडे मारकर भगा देती है. उन्हें ये समझ नहीं आ रहा है कि जाएं तो जाएं कहां.
यह भी पढ़ेंःलॉक डाउन में सख्त 'खाकी', गाड़ियों का किया Sanitize
इन मजदूरों में से कोई मध्यप्रदेश से आया था, कोई बिहार से और कोई उत्तर प्रदेश से. सबके सामने ये चिंता थी कि अब सरकार ने घर लौटने का विकल्प भी खत्म कर दिया है. हालात ऐसे हो रहे हैं कि संभलते हुए नजर नहीं आते हैं. ऐसे में दो दिन तो बीत गये, लेकिन कहीं एक हफ्ते से ज्यादा लॉक डाउन चला तो फिर उनका क्या होगा.?
बरामदों में बैठे लोगों ने जब दर्द बयां किया...