जयपुर. सुहागिन महिलाओं ने लहरिया की पोशाक पहनकर मेहंदी रचाई और सोलह श्रृंगार किया. घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए गए. नव विवाहिता के पीहर से विशेष रुप से गेवर, मेवा, आभूषण, साड़ियां, सोलह श्रृंगार की सामग्री भेजी गई. कई महिला संगठन ने सामूहिक रुप से सिंजारा महोत्सव को सेलिब्रेट किया.
सिंजारा महोत्सव में महिलाओं ने खुले स्थान पर बड़े-बड़े वृक्षों की शाखाओं पर बंधे हुए झूले पर स्त्रियों और बच्चों के लिए बहुत ही मनभावन होते हैं. मल्हार गाते हुए मेहंदी रची हुए हाथों से रस्सी पकड़े झूलना एक अनूठा अनुभव होता है. नारियां सखी सहेलियों के संग सज-संवर कर लोकगीत कजरी आदि गाते हुए झूला-झूलती दिखाई दीं. पूरा वातावरण ही गीतों के मधुर स्वरों से संगीत में गीत रस में हो उठा. शनिवार को घरों में महिलाओं का पर्व तीज मनाया जाएगा.
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ये है पैराणिक मान्यताएं
पैराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रुप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. इससे प्रसन्न होकर शिव ने हरियाली तीज के दिन ही मां पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकारा था. अखंड सौभाग्य का प्रतीक यह त्योहार भारतीय परंपरा में पति-पत्नी के प्रेम को और प्रगाढ़ बनाने के साथ ही आपस में श्रद्धा और विश्वास कायम रखने का त्योहार है. इसके अलावा यह पर्व पति-पत्नी को एक दूसरे के लिए त्याग करने का संदेश भी देता है. इस दिन कुंवारी कन्याएं व्रत रखकर अपने लिए शिव जैसे वर की कामना करती हैं.