जयपुर. प्रदेश में मानसून से पहले हांफते विद्युत तंत्र में सुधार डिस्कॉम के लिए इस बार बड़ी चुनौती होगी. चुनौती इसलिए क्योंकि लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी मौसम बदलाव के साथ ही विद्युत तंत्र भी लड़खड़ाने लगता है और इसका खामियाजा बिजली उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ता है. जयपुर में बढ़ते विद्युत लोड को देखते हुए 33 केवी क्षमता के चार और 132 केवी क्षमता के दो जीएसएस बनाए जा रहे हैं.
आधुनिक तकनीक से लैस होंगे जीएसएस,13 लाख की आबादी को मिलेगी राहत
अत्याधुनिक तकनीक से लैस इन जीएसएस के तैयार होने के बाद जयपुर शहर के कई इलाकों में मौजूदा विद्युत तंत्र मजबूत हो सकेगा और करीब 13 लाख की आबादी को इससे फायदा मिलेगा. यह सभी सबस्टेशन अत्याधुनिक गैस इंसुलेटेड सिस्टम यानी जीआईएस तकनीक पर बनेंगे. नई तकनीक वाले इन जीएसएस से निर्बाध रूप से बिजली की आपूर्ति होगी और लोगों को बार-बार ट्रिपिंग की समस्या से भी नहीं जूझना होगा.
करोड़ों रुपए खर्च लेकिन नहीं सुधरे हालात
जयपुर शहर सर्किल की ही बात की जाए तो हर साल करोड़ों रुपए बिजली सुधार में खर्च किए जाते हैं नए ट्रांसफार्मर लगाने से लेकर फीडर सुधार तक के कई काम इसमें शामिल रहते हैं बावजूद इसके कई इलाकों में बिजली गुल की समस्याओं की शिकायतें आती रहती हैं. पिछले 1 साल में जयपुर सिटी सर्कल में 523 नए ट्रांसफार्मर लगाए गए जिससे बिजली उपभोक्ताओं को सुचारू रूप से बिजली की आपूर्ति हो सके.
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वर्तमान में सिटी सर्कल में 983 फीडर और 15340 ट्रांसफार्मर है जिनकी देखरेख की जिम्मेदारी भी डिस्कॉम की ही है, बावजूद उसके डिस्कॉम के कॉल सेंटर में बिजली गुल की शिकायतें मौसम परिवर्तन के साथ लगातार आती रहती है. हाल ही में अंधड़ और बरसात के दौरान भी कई इलाकों से यह समस्या सामने आई. यही कारण है कि मानसून से पहले जयपुर डिस्कॉम को अपने हांफते बिजली तंत्र को मजबूत करना किसी चुनौती भरा काम होगा.
चल रहा मेंटेनेंस का काम
जयपुर डिस्कॉम ने मानसून से पहले मेंटेनेंस का काम भी शुरू करवा दिया है कई इलाकों में यह काम तेज गति से चल रहा है. राजस्थान में मानसून की दस्तक तक यह काम पूरा किए जाने का दावा है.