जयपुर.भरतपुर में साधु-संतों का आदि बद्री और कनका पर्वत पर हो रहे खनन को लेकर बुधवार को धरना समाप्त हुआ. सरकार ने खनन बंद करने और लीज धारकों को दूसरी सरकारी जमीन पर शिफ्ट कर, उस क्षेत्र को वन क्षेत्र घोषित करने की तैयारी तो कर ली है लेकिन राजस्थान में अवैध खनन का दौर अब भी जारी है. प्रदेश में पिछले कुछ सालों में अवैध खनन का बाजार खूब फला-फूला. वहीं इसे रोकने को लेकर पुलिस प्रशासन भी एड़ी चोटी का दम लगा चुकी है, जिसमें माफियाओं की तरफ से भी कई हमले हुए और कई लोगों ने अपनी जान भी गंवाई हैं.
सरकार बनने के बाद पिछले साढ़े 3 सालों के आंकड़ों को देखें तो खनन माफियाओं ने 250 हमले (Illegal Mining in Rajasthan) किए जिनमें 130 पुलिसकर्मी और 50 आम लोग घायल हुए हैं. अवैध खनन का परिवहन करने वाले वाहनों को तो मौत के वाहनों का भी नाम दिया जाता है, क्योंकि इससे 52 हादसों में 30 लोगों की मौत हुई और 37 लोग घायल हुए हैं. वहीं राजस्थान में अवैध खनन को लेकर पिछले सालों में 600 गिरफ्तारियां, 153 मामलों में चालान पेश, और 100 मामलों की जांच पेंडिंग है.
खनन मंत्री गिना रहे केवल आंकड़े :राजस्थान के खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया अवैध खनन के सवाल पर अपनी सरकार के साढ़े 3 साल और पिछली सरकार के साढे़ 3 सालों की तुलना कर अपने आप को सर्टिफिकेट दे देते हैं. साथ ही कागजों में अवैध खनन निकासी एफआईआर, जप्त मशीनें और वसूली की कमी भी इसी ओर इशारा कर रही है कि भले ही राजस्थान में अवैध खनन कम हुआ हो, लेकिन आए दिन हो रहे मामले यह साफ बताते हैं कि प्रदेश में अवैध खनन रुका नहीं है.