जयपुर/रुड़की: कोरोना महामारी से बचने के लिए हमारे देश में 14 अप्रैल तक लॉक डाउन है. सरकार हर वो प्रयास कर रही है, जिससे कोरोना से कम से कम लोग संक्रमित हों. लेकिन जो लोग संक्रमित हो चुके हैं या हो रहे हैं, उन्हें अस्पताल में वेंटिलेटर की जरूरत है. एक अनुमान के मुताबिक देश के अस्पतालों में अभी 40 हजार के करीब वेंटिलेटर हैं.
आईआईटी रुड़की ने बनाया पोर्टेबल वेंटिलेटर पढ़ें:खबर का असर: खाने के लिए तरस रहे मजदूर परिवारों के घर तक CRPF जवानों ने पहुंचाया राशन
जिस तरह कोरोना के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, उसके अनुसार इससे ज्यादा वेंटिलेटर्स की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में आईआईटी रुड़की का एक आविष्कार बहुत मददगार साबित हो सकता है. ये वेंटिलेटर कोरोना जैसी महामारी में मरीजों के इलाज में बहुत काम आ सकता है. अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 'प्राण-वायु’ नाम के इस क्लोज्ड लूप वेंटिलेटर को एम्स ऋषिकेश के सहयोग से बनाया गया है.
ऐसे काम करता है पोर्टेबल वेंटिलेटर
आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों का बनाया वेंटिलेटर स्वचालित प्रक्रिया दबाव और प्रवाह की दर को सांस लेने और छोड़ने के अनुसार नियंत्रित करता है. इस वेंटिलेटर में ऐसी व्यवस्था है जो टाइडल वॉल्यूम और प्रति मिनट सांस को नियंत्रित कर सकती है. वेंटिलेटर सभी आयु वर्ग के रोगियों, विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए खास लाभदायक होगा.
ये है प्राण वायु वेंटिलेटर की विशेषता
इस वेंटिलेटर को काम करने के लिए कंप्रेस्ड हवा की आवश्यकता नहीं पड़ती है. इसलिए इससे अस्पताल के वार्ड या खुली जगह को आईसीयू में बदल सकते हैं. रियल टाइम स्पायरोमेट्री और अलार्म से सुसज्जित होने से ये सुरक्षित और विश्वसनीय बन जाता है.
आईआईटी रुड़की और एम्स ऋषिकेश की जुगलबंदी
दरअसल, कोविड 19 जैसे संकट के समय जल्द उपयोगी आविष्कार के लिए सप्ताह भर पहले ही एक टीम बनाई गई थी. रिसर्च टीम में आईआईटी रुड़की के प्रो. अक्षय द्विवेदी और प्रो.अरूप कुमार दास के साथ एम्स ऋषिकेश से डॉ. देवेन्द्र त्रिपाठी शामिल थे. टीम ऑनलाइन एक-दूसरे को सपोर्ट कर रही थी. डॉक्टर देवेंद्र त्रिपाठी कोरोना के मरीजों के इलाज में पेश आ रही दिक्कतों को बताते थे. आईआईटी रुड़की के प्रो. अक्षय द्विवेदी और प्रो.अरूप कुमार दास ने उसी को ध्यान में रखते हुए प्राण वायु वेंटिलेटर बना डाला.
चूंकि, इस दौरान लॉकडाउन था तो इसलिए आईआईटी रुड़की की टिंकरिंग प्रयोगशाला की सुविधाओं का उपयोग किया गया. माइक्रोप्रोसेसर-कंट्रोल्ड नॉन-रिटर्न वॉल्व, सोलेनॉइड वॉल्व, वन-वे वॉल्व जैसे कई भागों के विकास की आवश्यकता थी. इसे आईआईटी रुड़की के प्रो. अक्षय द्विवेदी, प्रो.अरूप कुमार दास और एम्स ऋषिकेश के डॉक्टर देवेंद्र त्रिपाठी के ऑनलाइन संवाद ने संभव कर दिखाया.
'प्राण-वायु’ पोर्टेबल वेंटिलेटर को विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के इलाज के लिए डिजाइन किया गया है. यह कम लागत वाला, सुरक्षित और विश्वसनीय मॉडल है. इसका निर्माण तेजी से किया जा सकता है. अब देश में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही है तो 'प्राण-वायु’ पोर्टेबल वेंटिलेटर उनके इलाज में काम आएगा. इससे डॉक्टरों को भी इलाज में आसानी होगी.