जयपुर. राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को यूडीएच विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा में कांग्रेस विधायक जगदीश चंद्र ने सरकार से नगर पालिका और नगर परिषद में भ्रष्टाचार रोकने के लिए इनके चुनाव में एंटी डिफेक्शन लॉ (दल-बदल विरोधी कानून) लागू करने की मांग की. जगदीश चंद्र ने विधानसभा में बोलते हुए नगर पालिका और नगर परिषद में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर कहा कि नगर पालिका के पास हाउस टैक्स के अलावा इनकम का कोई रास्ता नहीं है.
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नगरपालिका की आमदनी बढ़ाने के लिए चाहे चेयरमैन भाजपा का बने चाहे हमारी पार्टी कांग्रेस का, वह सबसे पहले नगरपालिका की आमदनी बढ़ाने के लिए नगर पालिका की जमीन बेचता है. ऐसे में तो नगरपालिका की जमीन खत्म हो जाएगी और नगर पालिका और नगर परिषद सरकार पर डिपेंड रह जाएगी. नगरपालिका का परमानेंट कमाई का कोई रास्ता निकालना चाहिए.
जगदीश चंद्र ने कहा कि इसका एकमात्र रास्ता यह है कि नगर पालिका को जमीन बेचने का जो अधिकार है, सरकार ऐसा राइडर लगाएं कि नगरपालिका जमीन नहीं बेच सके और नगरपालिका आमदनी करना चाहती है तो किराए का प्रावधान करें ताकि नगरपालिका का सोर्स ऑफ इनकम बना रहे और नगरपालिका को डिपेंड नहीं रहना पड़े.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नगर पालिका के पास वारिसनामा दर्ज करने का जो राइट है, उस पर सरकार विचार करें क्योंकि चेयरमैन भाजपा का हो या कांग्रेस का हो वह चेयरमैन वारिस नामें के नाम पर ज्यादा परेशान किया जाता है, उसे ब्लैकमेल किया जाता है और उसे धमकाया जाता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नगर पालिका के चुनाव के बाद इस तरीके से खरीद फरोख्त होती है.
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इस बात की चर्चा जरूर होती है लेकिन अगर नगर पालिका और नगर परिषद को सही करने की मंशा सबकी है तो एंटी डिफेक्शन लॉ लागू करना ही एकमात्र रास्ता है, जिसके जरिए नगरपालिका के भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है. इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है. पहले वह पार्टी की टिकट लेता है, उसके बाद वह बाड़ेबंदी में भेजा जाता है, उसके बाद क्रॉसवोटिंग भी हो जाती है. नगर पालिका में करोड़ों रुपए लगाकर नगर पालिका, नगर परिषद में चेयरमैन बनते हैं. वह इतने पैसे खर्च करने के बाद बनेगा तो भ्रष्टाचार नहीं करेगा तो क्या करेगा.
ऐसे में सरकार को कानून में कोई अमेंडमेंट करना पड़े तो अमेंडमेंट करें और एंटी डिफेक्शन लॉ लागू करें. इसके साथ ही उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार पर हमला करते हुए कहा कि 2017-2018 में स्मार्ट सिटी के नाम पर द्रव्यवती नदी पर 30 करोड़ के प्रावधान से काम करने की योजना बनाई. उसमें वाईफाई और स्मार्ट सिटी नदी के दोनों तरफ वॉकवे बनाने की बात थी, लेकिन उसपर 11 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए. यह जनता के टैक्स का पैसा था, जेडीए का पैसा था और उस पैसे को इस तरीके से बर्बाद किया गया. पिछली सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं है.