जयपुर. जयपुर में शनिवार को एक मां द्वारा अपनी दिव्यांग बच्ची को नाले में फेंकने के मामले में राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए जयपुर जिला कलेक्टर, पुलिस आयुक्त को इस प्रकरण में नोटिस जारी कर 15 दिनों में तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है.
आयोग सदस्य जस्टिस महेश चंद्र शर्मा ने समाचार पत्रों में छपी इस खबर को ना केवल गंभीर माना बल्कि आदेश में कहावत 'जाको राखे साइयां, मार सके ना कोई' का जिक्र करते हुए लिखा है कि लोगों ने इसक ेबावजूद बच्चे को मौत के मुंह में जाने से बचा लिया लेकिन आयोग इस कृत्य की कड़े शब्दों में निंदा करता है. लोगों की ओर से किए गए मानवीय कार्य की हृदय से प्रशंसा भी करता है और ऐसे लोगों को धन्यवाद देता है जिन्होंने बच्ची के प्राण बचाए.
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आयोग ने इस प्रकार के अमानवीय और हृदय विदारक इस अपराध की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए समाज के सभी लोगों को आगे आने की अपील भी की. साथ ही आयोग ने जिला कलेक्टर और प्रशासन को यह भी आदेश दिया कि इस प्रकार की विकृत मानसिकता वाले लोगों की उचित काउंसलिंग की माकूल व्यवस्था की जाए और लोगों को जागरूक और सतर्क रखने के लिए प्रोत्साहित भी किया जाए ताकि ऐसे विकृत लोगों से ईश्वर प्रदत मानव जीवन को बचाया जा सके.
जयपुर में शुक्रवार को आगरा के दंपती ने जेके लोन में इलाज कराने के लिए लाए अपनी ढाई साल के दिव्यांग बच्चे को शॉल में लपेट कर नाले में फेंक दिया. हालांकि वहां मौजूद लोगों ने उसे बचा लिया. जिसके बाद इस घटना पर मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए यह नोटिस जारी किए हैं.