जयपुर. राजस्थान कांग्रेस के मंत्रियों में अब नया डर आ गया है हनी ट्रैप. गहलोत कैबिनेट के मंत्री रामलाल जाट का ट्रैप तो नाकाम रहा, लेकिन लगता है बाकी मंत्रियों में सावधान इंडिया जैसे सीरियल का माहौल बन गया है. ऐसा लगता है कि राजस्थान में जब कांग्रेस ने सरकार बनाई तो अपने घर की चौखट पर नींबू-मिर्ची टांगना भूल गए या फिर छत पर जो भूत का मुखौटा लगाते हैं, वो नहीं लग पाया. क्योंकि सरकार के गठन के पहले से शुरू हुआ बवंडर (Congress Political Difficulties in Rajasthan) हर बार नए रूप में राजस्थान की सरकार को, उनके मंत्रियों को हिलाकर रखता है.
जादूगर गहलोत ने सबसे पहले बसपा के विधायकों को किसी तरीके से शामिल करके सरकार तो बना ली, लेकिन बसपा आज भी सुप्रीम कोर्ट में इस मर्जर के लिए लड़ रही है. अभी ये चैप्टर चल ही रहा था कि सचिन पायलट बनाम गहलोत का नया इतिहास लिखा जाने लगा और यह अध्याय पूरे देश में इस कदर पढ़ा गया कि कांग्रेस ने तो जो सीखना था वो सीखा ही, दूसरी पार्टियों ने भी इससे बहुत कुछ हासिल किया. सचिन पायलट ने हरियाणा की जमीं पर जितने दिन बिताए, उनसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की लगभग पूरे साल भर की नींद उड़ी रही. बड़ी मुश्किल से गहलोत ने दिल्ली आला कमान की मदद से बिखरते रायते को समेट तो लिया, लेकिन इस खींचतान का अब भी कोई स्थाई तोड़ (Rajasthan Political Crisis) नहीं निकल पाया है. इशारों और तंज के जरिए गहलोत और पायलट के बीच वार-पलटवार बना ही रहता है.
दुष्कर्म के बढ़ते आंकड़े उखाड़ रही सांसें : अलवर में विमंदित बच्ची के साथ जो घटना हुई, उसका खुलासा अभी तक नहीं हो पाया है. इस मामले में गहलोत सरकार की जो किरकिरी हुई है, उससे बचने के लिए सीएम को इस मामले की जांच सीबीआई को देनी पड़ी. हालांकि, गहलोत ने ऐसा इसलिए भी किया कि सीबीआई में केस ट्रांसफर होते ही मामला दब जाएगा और विपक्ष को भी बोलने के लिए कुछ नहीं बचेगा.
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दुष्कर्म की घटनाओं ने गहलोत सरकार अब तक के कार्यकाल में कठघरे में ही दिखाई पड़ती है. इसका कारण भी है- साल 2021 में दर्ज किए गए महिला अत्याचारों के प्रकरणों में साल 2020 की तुलना में काफी वृद्धि देखने को मिली है. महिला उत्पीड़न के प्रकरणों में 36 फीसदी बलात्कार के प्रकरणों में 25 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है.
रीट ने बिगाड़ी राजस्थान सरकार की बीट : वर्ष 2021 में हुए रीट के पेपर ने भी राजस्थान सरकार का बाजा बजाने में कसर नहीं छोड़ी. बेरोजगार संघ के अध्यक्ष उपेन यादव ने रीट पेपर लीक को लेकर जो आंदोलन छेड़ा (REET Paper Leak Case) उससे भी सरकार हिल गई. विपक्ष के रूप में सतीश पूनिया एंड पार्टी को तो पका-पकाया मुद्दा मिल गया. इस मामले में पायलट ने भी कमी नहीं की और बयान दिया कि यह मुद्दा देश और प्रदेश की धरोहर नौजवानों के भविष्य से जुड़ा है. इनके साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए.