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होलिका दहन 2022 पर बनेंगे तीन शुभ योग, शत्रुओं पर विजय रोगों से मिलेगी मुक्ति - Govinddev Ji Mandir Jaipur

बुराई पर अच्छाई का प्रतीक होलिका दहन 2022 (Holika Dahan 2022) आज किया जाएगा. इसके साथ ही रंग पर्व होली की शुरुआत हो जाएगी. होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाने की परम्परा है. इस बार तीन अद्भुत योग बन रहे हैं. आइए जानते हैं तिथि, शुभ मुहुर्त और सटीक समय.

Holika Dahan 2022
होलिका दहन 2022 पर बनेंगे तीन शुभ योग

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Published : Mar 17, 2022, 7:06 AM IST

जयपुर.होलिका दहन (Holika Dahan 2022) आज गुरुवार को किया जाएगा. जबकि कल शुक्रवार को धुलंडी का पर्व (Holi Celebration 2022) मनाया जाएगा. होली के दिन गुरु ग्रह की दृष्टि संबंध चंद्रमा से होने से गजकेसरी योग का निर्माण होगा. इसके साथ ही वरिष्ठ और केदार योग भी बनेंगे. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, होलिका दहन पर ये तीन शुभ योग पहली बार बनने जा रहे हैं. होलिका दहन पर ग्रहों की स्थिति से शत्रुओं पर विजय और रोगों से मुक्ति मिलेगी.

जयपुर के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर (Govinddev Ji Mandir Jaipur) में आज रात को 9.05 बजे होलिका दहन होगा. इस बार भद्रा का दोष होने के कारण होलिका दहन शाम की बजाय रात में पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में होगा.

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त: होलिका दहन (Holika Dahan 2022) इस साल गुरुवार, 17 मार्च 2022 को किया जाएगा. होलिका दहन की पूजा का शुभ मुहूर्त 9 बजकर 20 मिनट से 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. ऐसे में लोगों को होलिका दहन की पूजा के लिए लगभग एक घंटे का ही समय मिलेगा.

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भद्रा में पूजा निषेध: होलिका दहन पूर्णिमा तिथि में सूर्यास्त के बाद करना चाहिए लेकिन अगर इस बीच भद्राकाल हो तो होलिका दहन नहीं करना चाहिए. भद्राकाल समाप्त होने के बाद ही होलिका दहन करना चाहिए. हिंदू शास्त्रों में भद्राकाल को अशुभ माना गया है. ऐसी मान्यता है कि भद्राकाल में किया गया कोई भी काम सफल नहीं होता और उसके अशुभ परिणाम मिलते हैं.

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होलिका दहन में टाली जाती है भद्रा: होली का दहन (Holika Pujan Muhurat and Shubh Yog ) फाल्गुन शुक्ल पक्ष की प्रदोष व्यापनी पूर्णिमा को भद्रा रहित शास्त्र सम्मत होता है. इस बार फाल्गुन शुक्ल पक्ष चतुर्दशी गुरुवार 17 मार्च 2022 तक रहेगी. इस दिन दोपहर 1 बजकर 30 मिनट पर पूर्णिमा प्रारम्भ होगी. जो अगले दिन शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगी. ऐसे में प्रदोष काल में पूर्णिमा होने के कारण 17 मार्च को होली का पर्व मनाया जाएगा. लेकिन इस दिन भद्रा दोपहर 1:30 से रात 1-09 बजे तक रहेगी.

शास्त्रानुसार होलिका दहन में भद्रा टाली जाती है किंतु भद्रा का समय यदि निशिदकाल के बाद चला जाता है तो होलिका दहन भद्रा मुख को छोड़कर भद्रा पुच्छ्काल या प्रदोषकाल में करना श्रेष्ठ होता है. इस बार होलिका का दहन भद्रा की पुच्छकाल में रात 9:02 से 10:14 बजे तक करना शास्त्र सम्मत रहेगा.

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