जयपुर.होलिका दहन से आठ दिन पहले होलाष्टक लागू होता है. इस बार होलाष्टक बुधवार से शुरू हुआ है. जो 17 मार्च को होलिका दहन के बाद समाप्त (Holashtak 2022 till 17th March) होगा. कहा जाता है कि इन आठ दिनों में शुभ कार्य पूरी तरह वर्जित होते हैं. हालांकि, इसका असर पूरे भारत वर्ष पर न होकर कुछ खास इलाकों पर ही रहता है.
कहा जाता है कि होलिका के प्रह्लाद को जलाए जाने से पहले आठ दिन तक प्रह्लाद को मारने के लिए हिरण्यकश्यप ने उसे तमाम शारीरिक प्रताड़नाएं दीं थी. इसलिए इन आठ दिनों को हिंदू धर्म के अनुसार सबसे अशुभ माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलाष्टक के पहले दिन अर्थात फाल्गुन शुक्लपक्ष की अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु का उग्र रूप रहता है. इस वजह से इन आठों दिन मानव मस्तिष्क तमाम विकारों, शंकाओं और दुविधाओं आदि से घिरा रहता है.
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होलाष्टक का प्रभाव वाला क्षेत्र:
विपाशैरावतीतीरे शुतुद्रयाश्च त्रिपुष्करे।
विवाहादिशुभे नेष्टं होलिकाप्राग्दिनाष्टकम्।।