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Holashtak 2022 : होलाष्टक आज से शुरू, आठ दिन तक शुभ कार्य वर्जित, जानिए कहां रहता है इसका प्रभाव - Rajasthan News

होलाष्टक इस बार आज से शुरू हो गया (Holashtak 2022 begins from 9th March) है. यह 17 मार्च को होलिका दहन के बाद समाप्त होगा. कहा जाता है कि इन आठ दिनों में शुभ कार्य पूरी तरह वर्जित होते हैं. हालांकि, इसका असर पूरे भारत वर्ष पर न होकर कुछ खास इलाकों पर ही रहता है.

Holashtak 2022 begins from 9th March
होलाष्टक आज से शुरू

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Published : Mar 9, 2022, 4:01 PM IST

जयपुर.होलिका दहन से आठ दिन पहले होलाष्टक लागू होता है. इस बार होलाष्टक बुधवार से शुरू हुआ है. जो 17 मार्च को होलिका दहन के बाद समाप्त (Holashtak 2022 till 17th March) होगा. कहा जाता है कि इन आठ दिनों में शुभ कार्य पूरी तरह वर्जित होते हैं. हालांकि, इसका असर पूरे भारत वर्ष पर न होकर कुछ खास इलाकों पर ही रहता है.

कहा जाता है कि होलिका के प्रह्लाद को जलाए जाने से पहले आठ दिन तक प्रह्लाद को मारने के लिए हिरण्यकश्यप ने उसे तमाम शारीरिक प्रताड़नाएं दीं थी. इसलिए इन आठ दिनों को हिंदू धर्म के अनुसार सबसे अशुभ माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलाष्टक के पहले दिन अर्थात फाल्गुन शुक्लपक्ष की अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु का उग्र रूप रहता है. इस वजह से इन आठों दिन मानव मस्तिष्क तमाम विकारों, शंकाओं और दुविधाओं आदि से घिरा रहता है.

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होलाष्टक का प्रभाव वाला क्षेत्र:

विपाशैरावतीतीरे शुतुद्रयाश्च त्रिपुष्करे।

विवाहादिशुभे नेष्टं होलिकाप्राग्दिनाष्टकम्।।

(मुहुर्तचिन्तामणि श्लोक सं. 40)

ऐरावत्यां विपाशायां शतद्रौ पुष्करत्रये।

होलिका प्राग्दिनान्यष्टौ विवाहादौ शुभे त्यजेत्।

मुहुर्तगणपति श्लोक सं. 204)

इन दोनों श्लोकों के अनुसार, विपाशा (व्यास), इरावती (रावी), शुतुद्री (सतलज) नदियों के निकटवर्ती दोनों ओर स्थित नगर, ग्राम, क्षेत्र में तथा त्रिपुष्कर (पुष्कर) क्षेत्र में होलाष्टक दोष लागू होता है. ऐसे में फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा (होलिका दहन) तिथि के पहले के आठ दिन में विवाह, यज्ञोपवीत आदि शुभ कार्य वर्जित हैं.

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इस प्रकार लगभग संपूर्ण पंजाब, हिमाचल प्रदेश का कुछ भू-भाग और राजस्थान में अजमेर (पुष्कर) के समीपवर्ती स्थानों (संपूर्ण राजस्थान नहीं) में ही विशेष सावधानी के लिए होलाष्टक दोष को मानना शास्त्र सम्मत माना गया है. देश के अन्य शेष भू-भागों में होलाष्टक दोष विचार का नियम लागू नहीं करना चाहिए, ऐसा शास्त्र सम्मत निर्णय है.

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