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राजस्थान हाईकोर्ट: कनिष्ठ तकनीकी सहायक का अंतर पंचायत समिति तबादला करने पर मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने करौली जिले में मनरेगा में कार्यरत कनिष्ठ तकनीकी सहायक का अंतर पंचायत समिति तबादला करने पर प्रमुख ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज्य सचिव, करौली जिला परिषद सीईओ और कार्यक्रम समन्वयक सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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Published : Aug 28, 2020, 8:10 PM IST

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कनिष्ठ तकनीकी सहायक का अंतर पंचायत समिति तबादला करने पर मांगा जवाब

जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने करौली जिले में मनरेगा में कार्यरत कनिष्ठ तकनीकी सहायक का अंतर पंचायत समिति तबादला करने पर प्रमुख ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज्य सचिव, करौली जिला परिषद सीईओ और कार्यक्रम समन्वयक सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को रिलीव करने पर रोक लगा दी है. न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह ने यह आदेश गोपाल सिंह की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

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याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का तबादला करौली जिले की एक पंचायत समिति से दूसरी पंचायत समिति में कर दिया गया. जबकि नियमानुसार कनिष्ठ सहायक का अंतर पंचायत समिति तबादला नहीं किया जा सकता. वहीं, दूसरे कई कनिष्ठ सहायकों को उन्हीं की पंचायत समिति में अलग कलस्टर में स्थानांतरित किया गया है. इसके बावजूद भी याचिकाकर्ता को वर्तमान पंचायत समिति से काफी दूर दूसरी पंचायत समिति में स्थानांतरित किया गया है.

याचिका में कहा गया कि विभाग ने भेदभाव पूर्ण तरीके से दूसरे कर्मचारियों का तो उनकी समान पंचायत समिति में तबादला किया है, लेकिन याचिकाकर्ता को दूर दूसरी पंचायत समिति में भेज दिया. याचिका में गुहार की गई कि तबादला आदेश को निरस्त किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता को रिलीव करने पर रोक लगा दी है.

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एक ही भर्ती में बाद में चयनित शिक्षकों को नोशनल परिलाभ देने के आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक ही भर्ती में अलग-अलग समय नियुक्त हुए द्वितीय श्रेणी शिक्षकों को नोशनल परिलाभ और वरिष्ठता का लाभ देने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश दिनेश मेहता ने यह आदेश अमरचंद व अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता राम प्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं का अक्टूबर 2015 में द्वितीय श्रेणी शिक्षक के रूप में चयन हुआ था. जबकि समान भर्ती में याचिकाकर्ताओं से पूर्व कुछ अन्य अभ्यर्थियों को भी नियुक्ति दी जा चुकी थी.

याचिका में कहा गया कि अलग-अलग समय नियुक्ति मिलने के कारण याचिकाकर्ताओं को एक वार्षिक वेतन वृद्धि का नुकसान होने के साथ ही वरिष्ठता भी प्रभावित हो रही है. ऐसे में याचिकाकर्ताओं से पूर्व नियुक्त हुए अभ्यर्थियों के समान ही याचिकाकर्ताओं को वरिष्ठता और परिलाभ दिए जाएं. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को पूर्व में चयनित अभ्यर्थियों के समान वरिष्ठता और नोशनल परिलाभ देने को कहा है.

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