जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, एसीएस गृह, डीजीपी, एडीजी सिविल राइट्स और एडीजी सिविल राइट्स रवि प्रकाश मेहरड़ा को नोटिस जारी कर पूछा है कि एससी-एसटी क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत गिरफ्तारी अनिवार्य बताने वाले पिछले 29 मई के परिपत्र को क्यों न रद्द कर दिया जाए. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश समता आंदोलन समिति की जनहित याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता शोभित तिवारी ने अदालत को बताया कि एडीजी सिविल राइट्स रवि प्रकाश मेहरड़ा ने गत 29 मई को एक परिपत्र जारी किया था. जिसमें कहा गया कि एससी-एसटी एक्ट में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है. इसलिए इसके तहत दर्ज FIR में सीआरपीसी की धारा 41(1) के तहत गिरफ्तारी से पहले नोटिस नहीं दिया जा सकता. परिपत्र में यह भी कहा गया कि सीआरपीसी की धारा 41(1)(B) की पालना की स्थिति में एससी-एसटी एक्ट की धारा 15(1)(3) की पालना नहीं हो सकती. वहीं एडीजी सिविल राइट्स ने गत 26 जून को सभी पुलिस अधिकारियों को पत्र जारी कर पूर्व में जारी परिपत्र को लागू करने के संबंध में जानकारी भी मांगी.