जयपुर. न जान की फिक्र और न नियमों की पालना. सस्ते में जमीन मिल गई तो बना दिए हाईटेंशन बिजली के तारों के नीचे आशियाना. राजधानी जयपुर के कई क्षेत्रों में ऐसा नजारा देखा जा सकता है. जहां लोगों ने हाईटेंशन लाइन के नीचे अपने मकान बना रखे हैं. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने बात की चीफ टाउन प्लानर आरके विजयवर्गीय से....
हालांकि बिल्डिंग बायलॉज के तहत ये घरौंदे पूरी तरह गैर कानूनी हैं. लेकिन जिन क्षेत्रों में आबादी ज्यादा है और एक अर्से से यहां रह रहे हैं. उन्हें ध्वस्त भी नहीं किया जा सकता. ऐसे में अब इन हाईटेंशन लाइनों को शिफ्ट करने या अंडरग्राउंड करने की भी मांग उठ रही है.
हाईटेंशन लाइन अपने नाम के अनुसार ही तब बड़ी चिंता का विषय बन जाती है, जब उसके नीचे किसी घर की छत हो. दरअसल हाईटेंशन लाइन का करंट किसी व्यक्ति को 20 फुट की दूरी से खींच सकता है. छत से गुजर रहे हाईटेंशन तार से घर में करंट दौड़ने और झुलसने के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. बावजूद उसके हाईटेंशन तारों के नीचे सैकड़ों मकान बन गए हैं.
इन मकानों की छत से गुजर रही बिजली की लाइन आए दिन दुर्घटना को न्योता देती है. ऐसे एक या दो नहीं बल्कि सैकड़ों मकान हैं. सरकारी तंत्र की अनदेखी ने इन घरों में रहने वाले लोगों को मौत के मुहाने पर लाकर छोड़ दिया है.
जयपुर की घाट की गुणी के नजदीक बसी कॉलोनियाँ, न्यू सांगानेर रोड पर सुमेर नगर, रामनगर सोडाला, पृथ्वीराज नगर, हीरापुरा, पांच्यावाला, विश्वकर्मा और झोटवाड़ा में भी यही स्थिति देखने को मिलती है. जहां बिजली की 11 केवी, 32 केवी से लेकर 132 केवी, 220 केवी हाईटेंशन लाइनों से दर्जनों कॉलोनियों में लोगों को हाई टेंशन है.
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