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SPECIAL : जयपुर की कई कॉलोनियों के बीच से गुजर रही हाईटेंशन लाइनें....लोगों को 'हाई टेंशन' - Jaipur jda electric wire

हाईटेंशन लाइन अपने नाम के अनुसार ही तब बड़ी चिंता का विषय बन जाती है, जब उसके नीचे किसी घर की छत हो. दरअसल हाईटेंशन लाइन का करंट किसी व्यक्ति को 20 फुट की दूरी से खींच सकता है. छत से गुजर रहे हाईटेंशन तार से घर में करंट दौड़ने और झुलसने के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं.

Jaipur High Tension Line,  Jaipur High Tension Electric Wire
हाईटेंशन लाइन से हाई टेंशन

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Published : Apr 12, 2021, 5:52 PM IST

जयपुर. न जान की फिक्र और न नियमों की पालना. सस्ते में जमीन मिल गई तो बना दिए हाईटेंशन बिजली के तारों के नीचे आशियाना. राजधानी जयपुर के कई क्षेत्रों में ऐसा नजारा देखा जा सकता है. जहां लोगों ने हाईटेंशन लाइन के नीचे अपने मकान बना रखे हैं. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने बात की चीफ टाउन प्लानर आरके विजयवर्गीय से....

हाईटेंशन लाइन से हाई टेंशन (भाग 1)

हालांकि बिल्डिंग बायलॉज के तहत ये घरौंदे पूरी तरह गैर कानूनी हैं. लेकिन जिन क्षेत्रों में आबादी ज्यादा है और एक अर्से से यहां रह रहे हैं. उन्हें ध्वस्त भी नहीं किया जा सकता. ऐसे में अब इन हाईटेंशन लाइनों को शिफ्ट करने या अंडरग्राउंड करने की भी मांग उठ रही है.

जयपुर की कई कॉलोनियों पर हाईटेंशन का खतरा

हाईटेंशन लाइन अपने नाम के अनुसार ही तब बड़ी चिंता का विषय बन जाती है, जब उसके नीचे किसी घर की छत हो. दरअसल हाईटेंशन लाइन का करंट किसी व्यक्ति को 20 फुट की दूरी से खींच सकता है. छत से गुजर रहे हाईटेंशन तार से घर में करंट दौड़ने और झुलसने के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. बावजूद उसके हाईटेंशन तारों के नीचे सैकड़ों मकान बन गए हैं.

इन मकानों की छत से गुजर रही बिजली की लाइन आए दिन दुर्घटना को न्योता देती है. ऐसे एक या दो नहीं बल्कि सैकड़ों मकान हैं. सरकारी तंत्र की अनदेखी ने इन घरों में रहने वाले लोगों को मौत के मुहाने पर लाकर छोड़ दिया है.

कॉलोनी के बीचों बीच झूलते हाईटेंशन तार

जयपुर की घाट की गुणी के नजदीक बसी कॉलोनियाँ, न्यू सांगानेर रोड पर सुमेर नगर, रामनगर सोडाला, पृथ्वीराज नगर, हीरापुरा, पांच्यावाला, विश्वकर्मा और झोटवाड़ा में भी यही स्थिति देखने को मिलती है. जहां बिजली की 11 केवी, 32 केवी से लेकर 132 केवी, 220 केवी हाईटेंशन लाइनों से दर्जनों कॉलोनियों में लोगों को हाई टेंशन है.

पढ़ें-अधूरा स्मार्ट बन रहा जयपुर...स्मार्ट सिटी में राहगीरों के लिए प्रोजेक्ट ही नहीं

क्या कहते हैं नियम

क्या कहते हैं नियम

कितनी खतरनाक हाईटेंशन लाइन

खतरनाक है हाईटेंशन लाइन

चीफ टाउन प्लानर आरके विजयवर्गीय ने कहा कि जहां हाई वोल्टेज पावर लाइन डाली गई थी, तब वहां कोई आबादी नहीं थी. पावर ट्रांसमिशन लाइन अधिकतर कृषि भूमि से निकल रही थी. लेकिन जब शहरी जनसंख्या बढ़ी, शहरों का विस्तार हुआ, तो कृषि भूमि पर अनाधिकृत कॉलोनियां बस गई. हालांकि नियमों में हॉरिजॉन्टल, वर्टिकल और सेफ्टी कॉरिडोर के नॉर्म्स बने हुए हैं.

लेकिन डेवलपर्स ने नियमों की पालना किए बिना निर्माण किए. हालांकि सरकार ने इन विद्युत लाइन को शिफ्ट करने का प्लान भी बनाया. लेकिन 132 केवी 220 केवी की लाइन लंबी दूरी की होती हैं जिन्हें शिफ्ट करना आसान नहीं है. वहीं उन कॉलोनियों का नियमन भी नहीं किया जा सकता है, जो इन विद्युत लाइन के नीचे बसी हैं. ऐसे में केवल अब इन विद्युत लाइंस को शिफ्ट करना या अंडरग्राउंड करने का ही ऑप्शन रह जाता है.

असल जिम्मेदार कौन ?

जेडीए, नगर निगम पर ठीकरा फोड़ने वाला जयपुर डिस्कॉम खुद भी कटघरे में है. कारण इनमें से कई लाइनों को शिफ्ट करने के लिए प्लानिंग हुई, बजट भी तैयार हुआ, लेकिन काम नहीं किया गया. कई जगह तो खतरनाक स्थिति होने के बावजूद रोकड़ स्वीकृति करने से रोक दिया गया.

हाईटेंशन का खतरा

हालात ये है कि सैकड़ों लोग मौत के मुहाने पर बैठे हैं, जिन्हें ना तो हटाया जा रहा है और न ही हाईटेंशन लाइन को शिफ्ट किया जा रहा है. बल्कि भारी खर्चा होने के कारण लाइनों को अंडरग्राउंड करने का मामला भी फाइलों में दबा दिया है.

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