जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती-2018 में खेल कोटे में चयनित अभ्यर्थी का दूसरे राज्य का प्रतिनिधित्व करने के आधार पर नियुक्ति निरस्त करने के आदेश पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख शिक्षा सचिव और शिक्षा निदेशक सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश योगेश चन्द्र शर्मा की याचिका पर दिए.
स्पोर्ट्स कोटे में नियुक्ति नहीं देने पर हाईकोर्ट ने जवाब मांगा याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने नेशनल लेवल पर टेनिस बॉल प्रतियोगिता में भाग लेकर पदक हासिल किया था. वहीं उसने राज्य सरकार की ओर से आयोजित तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती-2018 में भाग लिया, जिसमें राज्य सरकार ने उसका खेल कोटे में चयन करते हुए नियुक्ति पत्र जारी कर दिया.
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याचिका में कहा गया कि गत 2 मार्च को विभाग ने उसके नियुक्ति आदेश को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि उसने प्रतियोगिता में राजस्थान के बजाय उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया है. ऐसे में उसे खेल कोटे का लाभ नहीं दिया जा सकता. याचिका में कहा गया कि नियमों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि खिलाड़ी ने स्थानीय प्रदेश का ही प्रतिनिधित्व किया हो. ऐसे में याचिकाकर्ता का चयन निरस्त करना अवैध है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के नियुक्ति आदेश को निरस्त करने के आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.
नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती 2018 में कट ऑफ से अधिक अंक मिलने पर नियुक्ति नहीं देने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
राजस्थान हाईकोर्ट ने नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती-2018 में कट ऑफ से अधिक अंक होने के बावजूद अभ्यर्थी को नियुक्ति नहीं देने पर चिकित्सा सचिव, और अतिरिक्त निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता के लिए एक पद सुरक्षित रखने को कहा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश पूजा शर्मा व अन्य की याचिका पर दिए.
नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती 2018 में कट ऑफ से अधिक अंक मिलने पर नियुक्ति नहीं देने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने मई 2018 में नर्स ग्रेड द्वितीय के 6 हजार 35 पदों पर भर्ती निकाली, जिसमें 12वीं कक्षा और जीएनएम के अंकों के आधार पर गत 24 जनवरी को कट ऑफ जारी की गई. याचिका में कहा गया कि कट ऑफ से अधिक अंक होने के बावजूद भी याचिकाकर्ता को नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया.
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इस संबंध में संबंधित अधिकारियों के समक्ष अभ्यावेदन देने के बाद भी न तो नियुक्ति दी और ना ही नियुक्ति नहीं देने का कारण बताया गया. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब करते हुए एक पद याचिकाकर्ता के लिए आरक्षित रखने को कहा है.