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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चालानी गार्डस की नियुक्ति सहित कैदियों को शिफ्ट करने के दिए आदेश - Dausa Central Jail

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कैदियों को अदालत में पेशी पर ले जाने के लिए 832 चालानी गार्डस् की नियुक्ति को दो सप्ताह में मंजूरी करने के आदेश दिए हैं. साथ ही हाईकोर्ट ने तय क्षमता से अधिक कैदियों को दौसा सेंट्रल जेल में भेजने के निर्देश दिए हैं. वहीं कोर्ट ने महिलाओं के लिए बनाई गई सेंट्रल जेल में अनिवार्य रुप से सैनेटरी नैपकिन की वैडिंग मशीनें लगाने और एक महीने में नॉन ऑफिश्यल विजिटर की नियुक्तियां करने के निर्देश दिए हैं.

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Published : Aug 20, 2019, 9:09 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कैदियों को अदालत में पेशी पर ले जाने के लिए 832 चालानी गार्डस् की नियुक्ति को दो सप्ताह में मंजूरी करने के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही अदालत ने जेल में मौत होने पर मुआवजे के एक समान मापदंड तय करने, मॉडल जेल नियमों को लागू करने, महिला सेंट्रल जेल में सैनेटरी नैपकिन की वैडिंग मशीन लगवाने और एक महीने में नॉन आफिश्यल विजटर की नियुक्ति करने के आदेश दिए हैं. साथ ही हाईकोर्ट ने तय क्षमता से अधिक कैदियों को दौसा सेंट्रल जेल में भेजने के निर्देश दिए हैं.

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चालानी गार्डस की नियुक्ति के दिए आदेश

बता दें कि न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए. सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि चालानी गार्ड की कमी के कारण बंदियों को कई महीनों तक कोर्ट में पेश नहीं किया जाता है. इसके चलते उनकी ट्रायल भी जल्दी पूरी नहीं होती और जेल में कैदियों की संख्या का दबाव भी कम नहीं होता है.

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प्रकरण के न्यायमित्र प्रतीक कासलीवाल ने अदालत को बताया कि जेलों में करीब 2700 चालानी गार्ड की आवश्यकता है, लेकिन 58 साल से अब तक चालानी गार्ड की संख्या नहीं बढ़ाई गई है. अदालत हाल ही में इस संबंध में निर्देश दे चुकी है, लेकिन अब तक सरकार ने पालन नहीं की है. वहीं महाधिवक्ता महेन्द्र सिंह सिंघवी ने अदालत को बताया कि 832 चालानी गार्ड लगाने से सरकार पर करीब 70 करोड़ रुपए का भार आएगा और इसके लिए वित्त विभाग से स्वीकृति लेनी होगी, लेकिन यह काम जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा.

वहीं अदालत ने जेल में सजा भुगतने वाले और विचाराधीन कैदियों की विभिन्न कारणों से होने वाली मौत पर अलग-अलग मुआवजा देने का प्रश्न भी उठाया. इस प्रश्न पर महाधिवक्ता ने कहा कि इसके लिए कोई मापदंड तय नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार अधिकांश मामलों में मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर मुआवजा देती है. इस पर अदालत ने सरकार को इस संबंध में मापदंड तय करने के निर्देश दिए हैं.

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अदालत ने नए जेल नियम लागू नहीं करने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जेल नियम 2015 में बन गए थे, इसके बाद 2016 में मॉडल जेल मैन्यूअल भी बन गए. इन्हें एक साल में लागू करना था, लेकिन सरकार ने अब तक इन्हें लागू क्यों नहीं किया है. इस पर महाधिवक्ता ने बताया कि मॉडल जेल मैन्यूअल हाल ही में विधानसभा से पारित होकर लागू होने थे, लेकिन किन्हीं कारणों के चलते ऐसा नहीं हो सका. महाधिवक्ता ने आगामी सत्र में जेल मैन्यूअल पारित करवाकर लागू करने का आश्वासन दिया है.

अदालत ने दौसा में नवनिर्मित सेंट्रल जेल में दूसरी जेलों से कैदियों को शिफ्ट नहीं करने पर नाराजगी जताई. अदालत को बताया गया कि अब तक सिर्फ 80 कैदियों को ही वहां भेजा गया है, जबकि जयपुर सहित दूसरी सेंट्रल जेलों में क्षमता से अधिक बंदियों के कारण भारी परेशानियां हो रही है. इस पर अदालत ने सरकार को जल्द से जल्द दूसरी सेंट्रल जेल में भीड़ कम करने के लिए बंदियों को दौसा सेंट्रल जेल में भेजने को कहा है. साथ ही कोर्ट ने महिलाओं के लिए बनाई गई सेंट्रल जेल में अनिवार्य रुप से सैनेटरी नैपकिन की वैडिंग मशीनें लगाने और एक महीने में नॉन ऑफिश्यल विजिटर की नियुक्तियां करने के निर्देश दिए हैं.

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