जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में ऊंटों की कमी को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि जब टाइगर संरक्षण के लिए रिजर्व बनाया जा सकता है, तो फिर यह व्यवस्था ऊंटों के लिए क्यों नहीं हो सकती है. इसके साथ ही अदालत ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को कहा है कि इस गंभीर मामले में महाधिवक्ता को 25 जुलाई को पेश होकर राज्य सरकार का पक्ष रखना चाहिए. सीजे एसएस शिंदे और जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि ऊंट सीमा पर बीएसएफ के काम आने सहित बहुत उपयोगी है, लेकिन यह गंभीर बात है कि वर्ष 1982 में इनकी संख्या 7 लाख 56 हजार से कम होकर अब महज 2 लाख 34 हजार ही रह गई (Total number of camels in Rajasthan) है. ऊंट को राज्य पशु घोषित करने के संबंध में कानून बनाने के बाद इनकी संख्या में कमी होना गंभीर बात है. वहीं न्यायमित्र प्रतीक कासलीवाल ने कहा कि ऊंट के संबंध में कानून बनाते समय इनकी संख्या पौने चार लाख थी, लेकिन अब घटकर 2 लाख 34 हजार रह गई है.