नई दिल्ली: नाबालिग से रेप के मामले में जेल में बंद आसाराम पर लिखी किताब पर अंतरिम रोक लगाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता की कोशिश नाकाम होने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने आज दोनों पक्षों की फिर से दलीलें सुनी. जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुनवाई के दौरान जस्टिस नाजमी वजीरी की बेंच ने इस बात को नोट किया कि छप चुकी पांच हजार किताबों को वापस नहीं लिया जा सकता है.
किताब की पांच हजार प्रतियां छप चुकी हैं किताब की
सुनवाई के दौरान किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिंस ने बताया कि किताब की पांच हजार प्रतियां छप चुकी हैं. तब कोर्ट ने कहा कि उन किताबों को वापस नहीं लिया जा सकता है. कोर्ट ने प्रकाशक और संचिता गुप्ता को निर्देश दिया कि वे इस मसले पर समझौता कर कोई बीच का रास्ता निकालें. दोनों पक्षों को बातचीत के लिए कुछ समय दिया गया, बाद में आसाराम के साथ सह-आरोपी और किताब की रिलीज के खिलाफ ट्रायल कोर्ट जानेवाली संचिता गुप्ता की ओर से पेश वकील देवदत्त कामत ने कहा कि कोर्ट इस मामले पर गुण-दोष के आधार पर फैसला करें.
प्रकाशक की ओर से कपिल सिब्बल ने पेश की दलीलें
देवदत्त कामत ने कहा कि कोर्ट को किताब की पांच हजार प्रतियों के छपने और अभियुक्तों के निष्पक्ष ट्रायल के बीच संतुलन कायम करना चाहिए. बता दें कि कोर्ट ने पिछले 8 सितंबर को दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थी. 8 सितंबर को किताब के प्रकाशक कॉलिन हार्पर की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें रखीं थी जबकि आसाराम के साथ रेप मामले की सह-आरोपी संचिता गुप्ता की ओर से देवदत्त कामत ने अपनी दलीलें रखीं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात को नोट किया कि ट्रायल कोर्ट का रोक का फैसला प्रि-मैच्योर था.
पढ़ें-हाईकोर्ट ने सेंट एंसलम स्कूल को जारी किया नोटिस, टीसी के बदले फीस वसूलने पर मांगा जवाब
आसाराम पर लिखी किताब का नाम है ‘गनिंग फॉर द गॉडमैन-द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापू कंविक्शन’. इस किताब की रिलीज पर अंतरिम रोक लगाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिंस ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने किताब की रिलीज पर रोक लगाकर संविधान की धारा 19 का उल्लंघन किया है.
'ट्रायल कोर्ट ने प्रकाशक का पक्ष सुने बिना दिया फैसला'