जयपुर.कोरोना संकट में महीनों से प्रभु के दर्शन नहीं होने से भक्तों की आंखें तरस गई हैं, लेकिन आखिरकार राज्य सरकार ने 7 सितंबर से धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति दे दी है. कोविड की शर्तों और कुछ गाइडलाइंस के बीच श्रदालुओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति होगी, लेकिन इस बार सब कुछ बदला-बदला सा नजारा होगा. जहां भक्त ना प्रसाद चढ़ा सकेंगे और ना ही घंटे-घड़ियाल हाथ से बजा सकेंगे. ऐसे में भक्तों की आस्था को ध्यान में रखते हुए जयपुर के एक मंदिर में हाईटेक सिस्टम इजात किया गया है.
भक्तों के दर्शन को तैयार जयपुर का ये हाईटेक मंदिर गुंजायमान रहेंगे मंदिर...
प्रदेशभर में अधिकतर मंदिरों में भक्त घंटी ना बजा पाए, इसलिए मंदिरों की घंटियों को कपड़ों से ढक दिया गया है. लेकिन छोटी काशी का एक ऐसा भी मंदिर है जहां घंटियां कपड़ों में बंधे हुए नहीं है, बल्कि मनमोहक और कर्णप्रिय ध्वनि से मंदिर को गुंजायमान करेंगी. घंटी, जिसकी ध्वनि मन-मस्तिष्क को अध्यात्म भाव की ओर ले जाने का सामर्थ्य रखती है और घंटी मन की लय से जुड़कर शांति का अनुभव कराती है. जिससे वहां मौजूद भक्तों को शांति और दैवीय उपस्थिति की अनुभूति होती है.
एक बार फिर भक्तों का लगेगा तांता टच सेंसर बेस्ड ऑटोमेटिक बेल सिस्टम...
ऐसे में जयपुर के जगतपुरा स्थित हरे कृष्ण मूवमेंट के श्रीकृष्ण-बलराम मंदिर में श्रदालुओं की आस्था को देखते हुए जीरो टच सेंसर बेस्ड ऑटोमेटिक बेल सिस्टम बनाया है. इसमें घंटी को छुए बिना ही बेल साउंड जनरेट होगा. कोरोना महामारी में यह इनोवेशन भक्तों को संक्रमण से बचाएगा. श्रदालु का हाथ घंटी से 6 इंच दूर से ही सेंसर के जरिए डिटेक्ट कर लेगा और फिर अपने आप घंटे-घड़ियाल बज उठेंगे. इसके अलावा कोविड गाइडलाइंस का पालन करते हुए भक्तों को बिना हाथ लगाए सैनिटाइजेशन और हाथ-पैर धोने की भी हाईटेक सुविधा मिलेगी.
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मंदिर के प्रबंधक श्याम सुंदर दास ने बताया कि 7 सितंबर से मंदिर के पट भक्तों के किए खोल दिए जाएंगे, लेकिन मंदिर में 50 भक्तों से ज्यादा एक-साथ इकठ्ठा नहीं होंगे. उसके लिए भक्तों के खड़े होने के लिए 6-6 फिट पर निशान बनाए गए हैं. ऐसे में पूरे मंदिर में 50 सर्कल बनाए गए हैं. जहां मास्क लगाए भक्तों का टेंपरेचर माप कर मंदिर में प्रवेश मिलेगा.
भगवान के दर्शन, लेकिन सावधानी से...
सोमवार से जैसे ही मंदिर अनलॉक होंगे, तो जाहिर है आप सब दर्शन को आतुर रहेंगे. लेकिन जरा एहतियात बरतते हुए, ताकि संक्रमण न फैले, क्योंकि कोरोना अभी गया नहीं है. इसलिए आस्था के साथ-साथ हमें भी सुरक्षात्मक तरीकों से ही दर्शन करने होंगे.